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विश्व-मंगल हेतु उतरो धरा पर, नव वर्ष !
इस अधीरा मही को आश्वस्ति से भर दो,
चर-अचर को सुमति मंत्रित प्रीतिमय स्वर दो.
कूट-कलुष मिटे मनुजता को मिले उत्कर्ष .
उतरो धरा पर, नव वर्ष !
श्वेत पंखों से झरें सुख-शान्ति के मधु स्वन,
सुकृति -शील सु-भाव से मण्डित रहे जन-मन,
नवल संवत्सर पधारो, सहित सुस्नेह सहर्ष!
उतरो धरा पर, नव वर्ष !
दग्ध मानव-हृदय को दो ,आस्था के स्वर ,
विखण्डन सारे सहज परिपूर्णता से भर.
कर्ममय जीवन बने, संकल्प सुदृढ़-समर्थ!
उतरो धरा पर, नव वर्ष !
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