*
जब होती हूँ अपने आप में
वर्जना-हीन ,अबाध, मुक्त .
अपनी पूरी मानसिक सत्ता के साथ,
इन मानो-प्रतिमानो से निरपेक्ष.
किसी का कहना सुनना
कोई अर्थ नहीं रखता मेरे लिए !
आत्म में निवसित ,
शीष उठाए संनद्ध ,
अविभाजित ,अनिरुद्ध ,
अपनी संपूर्णता में स्थित !
वही हूँ मैं ,
बस वही !
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जब होती हूँ अपने आप में
वर्जना-हीन ,अबाध, मुक्त .
अपनी पूरी मानसिक सत्ता के साथ,
इन मानो-प्रतिमानो से निरपेक्ष.
किसी का कहना सुनना
कोई अर्थ नहीं रखता मेरे लिए !
आत्म में निवसित ,
शीष उठाए संनद्ध ,
अविभाजित ,अनिरुद्ध ,
अपनी संपूर्णता में स्थित !
वही हूँ मैं ,
बस वही !
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