*
रथ के टूटे पहिये से
कब तक लड़ोगे वसुषेण?
*
कवच-कुंडल हीन लड़ रहा है वह.
हार नहीं मानेगा !
मृत-पुत्र हित मातृत्व जाग उठा कुन्ती का
विक्षत देह गोद में भर ली .
जीवन भर तरसा था जिसके लिए मन,
बोधहीन तन को नहीं ग्रहण !
*
वह नहीं है अब !
होता तो कहता -
नहीं चाहिये तुम्हारी करुणा,
व्यर्थ पड़ी रहेगी .
लौटा ले जाओ ,
बाँट देना उन सब को !
*
अब यहाँ नहीं है ,
पर वह मरा नहीं है .
ऐसे पुरुष कभी नहीं मरते !
वह हारा नहीं ,
अन्याय का मारा है -
थक कर रणभूमि में सो गया है!
*
रथ के टूटे पहिये से
कब तक लड़ोगे वसुषेण?
*
कवच-कुंडल हीन लड़ रहा है वह.
हार नहीं मानेगा !
मृत-पुत्र हित मातृत्व जाग उठा कुन्ती का
विक्षत देह गोद में भर ली .
जीवन भर तरसा था जिसके लिए मन,
बोधहीन तन को नहीं ग्रहण !
*
वह नहीं है अब !
होता तो कहता -
नहीं चाहिये तुम्हारी करुणा,
व्यर्थ पड़ी रहेगी .
लौटा ले जाओ ,
बाँट देना उन सब को !
*
अब यहाँ नहीं है ,
पर वह मरा नहीं है .
ऐसे पुरुष कभी नहीं मरते !
वह हारा नहीं ,
अन्याय का मारा है -
थक कर रणभूमि में सो गया है!
*