मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि इस बार भारत जाने का मुझे एक बड़ा लाभ हुआ ,(16अगस्त 2013 को प्रकाशित ,एक बड़ा पुराना 'आत्म-निवेदन' ,जो मेरी स्मृति में आधा- अधूरा ही शेष था ,मुझे पूरा मिल गया - यहाँ (उसी प्रारूप में )अविरल रूप में प्रस्तुत है .
(यादों की पुरानी गठरी से यह 'आत्म-निवेदन' बार-बार सिर उठा रहा था . उस निःस्व शरणागत के समर्पणमय हृदय से उठते दैन्य-सजल उद्गारों का खरापन और पूर्ण निष्ठा उसे इतना सहज-ग्राह्य बना रही है कि भाषा में उर्दू-फ़ारसी का प्राधान्य भी बिना अटके सीधा मन में उतर जाता है . प्रस्तुत है - )
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श्री गणेशाय नमः.
भोर-साँझ सुमिरन करो मन में सिरी गणेश,
होय सहाय सरस्वती काटे सकल कलेश. 1.
प्रथम ध्यान गणेश का मन कर ,हृदय विचार,
ब्रह्मा-विष्णु-महेश को कर प्राणन आधार. 2.
काम क्रोध और लोभ को हिरदय से तज देय
ता पीछे तू ध्यान दे औ'अस्तुत कर लेय. 3.
मन-इच्छा सब पूरण, होंगे अबकी बार,
श्री राम प्रताप से कट जायें दुःख अपार. 4.
चालिस दिन का पाठ कर हिरदय, ध्यान लगाय,
किरपा से श्रीकृष्ण की मन इच्छा फल जाय. 5.
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करो कृपा हे गिरिधर मुरारी .
लगाई क्यों मेरे कारज में देरी !
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मुकुट-धर माल-धर गिरिधर मुरारी,
तेरे दरबार में आया भिखारी ,
लगा कर कान सुन विपदा हमारी .
यही है आरज़ू बाँके बिहारी . 6. करो कृपा.
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लिया अवतार तुम वसुदेव के घर ,
ठिकाना आ लिया फिर नन्द के घर .
तहलका पड़ गया था कंस के घर ,
किया जो कुछ था तुमने वो है उजागर. 7.करो कृपा.
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हुये तुम ब्रज में नामी कन्हैया,
लुटैया दूध के माखन चुरैया ,
लकुट ले हाथ औ' काँधे कमरिया,
बने बन-बन में तुम गइयें चरैया . 8.करो कृपा.
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किया था कोप इन्द्र ने ब्रज पर ,
हुई वरषा थी मूसलधार ब्रज पर ,
तुम्हीं ने जब कि देखा हाल सब तर,
बचाया ब्रज को गिरि धार नख पर . 9.करो कृपा.
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बजा कर बाँसुरी ब्रज को रिझाया,
नचे तुम आप और सब को नचाया,
हरएक ग्वालिन के घर जा माखन चुराया,
जो खाया खा लिया बाकी लुटाया . 10.करो कृपा.
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बने तुम गोपियों के प्राण आधार,
हुआ करती थीं वो तुम पे बलिहार .
किये तुमने ब्रज में लाखों चमत्कार,
मुझे क्यों कर रहे हो जी से बेज़ार. 11.करो कृपा.
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लिखा पाती में जब रुकमन ने ये हाल,
रुक्म कहता हैं मैं ब्याहूँगा शिशुपाल
निहायत हो रहा है तंग अहवाल .
छुड़ाया जबर-जोरी से उसे तत्काल. 12.करो कृपा.
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सबों को किया तेरी किरपा ने लीन,
अधम रैदास को निज भगति तुम दीन,
ये क्या इन्साफ़ है और कौन आईन .
हमारी बार पै हिया अस निठुर कीन . 13.करो कृपा.
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गया हूँ बस अपने नाम से मैं,
तरसता हूँ महज़ आराम से मैं,
बहुत लाचार हूँ सब काम से मैं,
अरज यह कर रहा तुम राम से मैं . 14.करो कृपा.
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जिवस हैराँ हूँ और हूँ परेशाँ ,
महज़ जाता रहा है मेरा ईमाँ ,
न वह बूदी का मेरे कुछ है सामाँ,
ज़रूरत है तेरी किरपा की भगवान ! 15.करो कृपा.
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मैं अपने दुख को तुमसे कह चुका हूँ ,
जो लिखना था उसे भी लिख चुका हूँ ,
अरज अपनी मैं तुमसे कर चुका हूँ
शरण तेरी मैं भगवन् आ चुका हूँ . 16.करो कृपा.
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किसी ने भक्ति कर-कर के रिझाया,
किसी ने जस तेरा गाया-बजाया,
किसी ने कुछ कथन कह के सुनाया ,
अधम हूँ मैं, तेरे चरणों में आया .17.करो कृपा.
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जगत में आन कर कुछ भी न देखा
जिसे देखा उसे मोहताज देखा,
सभी रखते हैं तुझते अपना लेखा,
ताल्लुक तेरे हैं सभी अपना परेशाँ . 18.करो कृपा.
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निहायक तंग हूँ मैं मुफ़लिसी से,
हुआ आरी हूँ ऐसी ज़िन्दगी से,
जिबस लाचार जइफ़ो आजरी से ,
निदामत हो रही है बेज़री से . 19.करो कृपा.
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भगत तारे किया कुछ न अजब तुम,
अधम भी तारे बेसबब तुम,
किये हैं औ'करोगे काम सब तुम ,
हमारी बार चुप बैठे गजब तुम. 20.करो कृपा.
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हमारे हाल को सुनते नहीं हो
खयाले मुफ़लिसी करते नहीं हो ,
ज़ुबाँ से कुछ भी अब कहते नहीं हो,
हमारी नाथ सुध लेते नहीं हो . 21.करो कृपा.
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सभी करतूत स्वामी तेरे कर में
तेरा ही बस मुझे रख जिस बहर में
बहुत सी ख़ाक छानी दर-ब-दर में ,
मुझे अब कल नहीं, बाहर न घर में . 22.करो कृपा.
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किसी को ज़ोर है, सीमोजरी का,
किसी को ज़ोर है ,जादूगरी का
किसी को ज़ोर है, ज्योतिषगरी का ,
मुझे है जो़र बस किरपा तेरी का . 23.करो कृपा.
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कोई हर नाम लेने में मगन है,
कोई साधू की सेवा में मगन है
कोई ख़ैरात करने में मगन है ,
मेरे हिरदय में हरदम यह सुखन है . 24.करो कृपा.
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कोई कहता है बेहतर है ये तदबीर,
कोई कहता है मुकद्दम है ये तकदीर,
दफ़ा हो जाए जिससे सारी तकसीर,
मेरी हर वक्त तुमसे है यही तकरीर. 25.करो कृपा.
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अरे गिरधर ,मेरी सुनते नहीं टेर,
लगाई तुमने कारज में बड़ी देर,
लिया है मुफ़लिसी ने हर तरफ़ से घेर,
नहूसत के मेरे दिन हैं, तू इन्हें फेर . 26.करो कृपा.
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जगत में जो अजीज़ों अकरवा हैं,
हरेक तेरी छाया बिन खफ़ा है ,
तेरे दरबार में यह इल्तिज़ा है ,
दया कर मुझपे, ये मौका दया का है . 27.करो कृपा.
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जगत में हैं बहुत पापी अधर्मी,
मगर मुझ सा नहीं कोई कुकर्मी
बहुत मैंने सही सख़्ती औ' नर्मी ,
दया कर मुझ पर, अब कर न गर्मी. 28.करो कृपा.
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चतुर बन कर मैं धोखा खा चुका हूँ ,
किये की भी सज़ा मैं पा चुका हूँ ,
पकड़ ले हाथ गहरे जा चुका हूँ ,
तुम्हें दामन मैं अपना दे चुका हूँ . 29.करो कृपा.
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हमेशा सबकी रक्षा कर रहे हो ,
हमारे काम को क्यों थक रहे हो ,
हमारी बार को क्यों सो रहे हो ,
रुई सी कान में क्यों दे रहे हो . 30.करो कृपा.
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फ़िकर की फाँस में ये जाँ फँसी है ,
मगर मूरत तेरी हिरदे बसी है ,
ख़बर ले वर्ना अब मेरी हँसी है ,
हँसी मेरी न ये तेरी हँसी है . 31.करो कृपा.
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अधम हूँ और मैं घट में छुटाई ,
कहो हो किस तरह ओहदे बराई ,
अठारह पुराणों में तेरी बड़ाई ,
दया कर अब तुझे जसुमत दुहाई ! 32.
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करो कृपा हे गिरिधर मुरारी ,
लगाई क्यों मेरे कारज में देरी !
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