।।ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः।।
कायस्थ -
श्री चित्रगुप्त का अंशज जो मसिजीवी,विधि का अनुगाता.
पुस्तिका सहचरी,वर्ण मित्र,लेखनि से जनम-जनम नाता,
जीवन अति सहज,निराडंबर अनडूबा लोभों-लाभों में ,
अनुशासन शिक्षा संस्कार स्वाधीन-चेत रह भावों में.
व्यवहार,आचरण, खान-पान ,काया संसारोचित स्वभाव,
पर अंतर का अवधूत, परखता अपने ग्राह्य-अग्राह्य सतत,
सब में रह कर भी सबसे ही कुछ विलग भिन्न-सा रह जाता,
इस चतुर्वर्ण में गण्य न जो, कायस्थ वही तो कहलाता !
- प्रतिभा
(चित्र- गूगल से साभार)