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- प्रतिभा.
नया संवत्सर खड़ा है द्वार-देहरी ,
एक शुभ संकल्प की आशा लगाये .
अर्थ का विस्तार कर सर्वार्थ कर दो
आत्म का घेरा बढ़ा परमार्थ कर दो,
बूंद-बूंद भरे, कृतार्थ समष्टि -सागर
त्रिक् वचन-मन-कर्मयुत संकल्प धर दो !
आत्म का घेरा बढ़ा परमार्थ कर दो,
बूंद-बूंद भरे, कृतार्थ समष्टि -सागर
त्रिक् वचन-मन-कर्मयुत संकल्प धर दो !
दिग्भ्रमित मति ,
नये मंगल-आचरण का भाष्य पाये !
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नये मंगल-आचरण का भाष्य पाये !
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