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शनिवार, 30 दिसंबर 2017

एक शुभ संकल्प -

*    
नया संवत्सर खड़ा है द्वार-देहरी ,
एक शुभ संकल्प की आशा लगाये .

अर्थ का विस्तार कर सर्वार्थ कर दो
आत्म का घेरा बढ़ा परमार्थ कर दो,
बूंद-बूंद भरे, कृतार्थ समष्टि -सागर
त्रिक् वचन-मन-कर्मयुत संकल्प धर दो !
दिग्भ्रमित मति ,
नये मंगल-आचरण का भाष्य पाये !
*
- प्रतिभा. 

रविवार, 10 दिसंबर 2017

आदमी ऐसा क्यों होता है ?

*
हड्डी चिंचोड़ने की आदत 
अपने  बस में कहाँ  कुत्तों के .
मांस देख ,मुँह से टपकाते लार
वहीं मँडराते ,सूँघते .
तप्त मांस-गंध से हड़की
लालसा रह-रह,
आँखों में  लपलपाती , 
अाकुल पंजे रह-रह काँपते ,
टूट पड़ते मौका देख .

 बाप ,भाई, फूफा, मामा ,चाचा ,
रिश्ते ,बेकार सारे .
बताओ ,बेटी-बहन किधर से 
गर्म गोश्त नहीं होतीं  ?
फिर तो अहल्या हो ,उपरंभा हो ,
निर्भया या कोई नादान बाला ,
क्या फ़र्क पड़ता है ?

भयभीत हो दबा ले भले  
टेढी दुम ,
कौन सीधी कर पाया आज तक ?
बाज़ आया  कभी 
 अपने कुत्तेपन से !

आदमी ऐसा क्यों होता है ?
*
- प्रतिभा.