शिप्रा की लहरें
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शिप्रा की लहरें.
1. लोक रंग
2.लंबी कवितायें
3.स्वरयात्रा
4.यात्रा एक मन की
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रविवार, 1 सितंबर 2024
बीज - मंत्र .
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शब्द बीज हैं! बिखर जाते हैं, जिस माटी में , उगा देते हैं कुछ न कुछ. संवेदित, ऊष्मोर्जित रस पगा बीज कुलबुलाता फूट पड़ता , रचता नई सृष्टि ...
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गुरुवार, 15 अगस्त 2024
नियति -
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मानव रचना का वृहत् कार्य कर ,सृष्टि निरख हो कर प्रसन्न. अति तुष्टमना सृष्टा लीलामयि सहचरि के साथ मग्न देखा कि मनुज हो सहज तृप्त, हो महाप्रक...
5 टिप्पणियां:
बुधवार, 17 मई 2023
अनायास -
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* नयन अनायास भर आते हैं कभी, यों ही बैठे बैठे! नहीं , कोई दुख नहीं , कोई हताशा नहीं , शिकायत भी किसी से नहीं कोई. क्रोध ? उसका सवाल ही नह...
10 टिप्पणियां:
शनिवार, 6 मई 2023
श्री गणपति-गौरा को अर्पित !
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* पधारो श्री गणपति मोरे अँगना , पग धारो माँ गौरा, हमारे अँगना . तुम्हरी कृपा सों मंगल कारज,चन्दन चौकी विराजो अंगना ! लाई गंगाजल सोने के कलसा...
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शनिवार, 25 मार्च 2023
एक दिन...
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एक दिन एक दिन अति शान्त मन , मैं चली आऊँगी तुम्हारे पास ! * और, विचलित न हो जब थिर हो सकूँ` मौसमों से दोस्ती के बीज फिर से बो सकूँ अभी थो...
2 टिप्पणियां:
मंगलवार, 17 जनवरी 2023
एक बरस बीत गया,
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* एक बरस बीत गया, जीवन-घट जल अधिकांश बीत, रीत गया पहुँचे सभी को प्रणाम और जुहार विनत , बोले-अनवोले मीत,पांथ-पथिक संग-नित, ...
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मंगलवार, 22 नवंबर 2022
ओ नारी ,
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* ओ नारी , अब जाग जा, उठ खड़ी हो ! कब तक भरमाई रहेगी? मिथ्यादर्शों का लबादा ओढ़, कब तक दुबकी रहेगी, परंपरा की खाई में ? * चेत जा, उठ ख...
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