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पधारो श्री गणपति मोरे अँगना ,
पग धारो माँ गौरा, हमारे अँगना .
तुम्हरी कृपा सों मंगल कारज,चन्दन चौकी विराजो अंगना !
लाई गंगाजल सोने के कलसा ,चुन-चुन बेला चमिलिया के फुलवा ,
होवे कुलचार हमारे अँगना !
मंगल मिलि सौभागिनि गावें, सखि मिलि मोतिन चौक पुरावें .
बाजे ढोलक-मँजीरा, हमारे अँगना .
गणपति रिधि-सिधि संग लै अइयो ,लाभ-सुभहिं हँकार बुलइयो !
विहरैं दोऊ आवैें हमार भवना .
बाधा-विघन दूरि करि डारौ, गणपति सब विधि काज सँवारो.
सब विधि हम भए , तुम्हारी सरना !
सब सुख पावैं आरुषि-केतन सफल सारथक होवै जीवन
करो पूरन कामना, माँ पुरणा !
गौरा-गणेश कृपालु भए रे, रिधि-सिधि सब ही काज निबेरे .
सजे मंगल साज , हमारे अँगना !
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वाह सुन्दर रचना|
जवाब देंहटाएंशानदार
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