*
दूर-दूर तक जाएँ ,
मेरी मंगल कामनाएँ!
कोई जाने , न जाने -
तरल तरंगों सी प्रतिध्वनि ,
सब अपनो में जगाएँ !
मौसमी हवाओं सँग मेरे सँदेसे
शुभ ऊर्जा जगाते ,
आनन्द-उछाह भरें,
मन में उजास जगा,
दूर करें मलिन छायाएँ!
सदिच्छा के सूक्ष्म बीज
नेह-गंधमय फसल उगाते ,
हर बरस
चतुर्दिक् बिखर जाएँ,
बिखरते जाएँ !
*
- प्रतिभा सक्सेना.
दूर-दूर तक जाएँ ,
मेरी मंगल कामनाएँ!
कोई जाने , न जाने -
तरल तरंगों सी प्रतिध्वनि ,
सब अपनो में जगाएँ !
मौसमी हवाओं सँग मेरे सँदेसे
शुभ ऊर्जा जगाते ,
आनन्द-उछाह भरें,
मन में उजास जगा,
दूर करें मलिन छायाएँ!
सदिच्छा के सूक्ष्म बीज
नेह-गंधमय फसल उगाते ,
हर बरस
चतुर्दिक् बिखर जाएँ,
बिखरते जाएँ !
*
- प्रतिभा सक्सेना.