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सबकी चीत भलाई प्यारे ,तेरा राम रखैया,
कहाँ टिका जीवन का पानी लहर लहरती कहती,
चलता आना-जाना उड़ते पत्ते उड़ते पत्ते नदिया बहती
जड़-जंगम को नाच नचावे नटखट रास-रचैया .
जो बीजा सो काटेगा रे कह गये बूढ़ पुरनिया,
चक्कर काटेगा कितने ही यही रहेगी दुनिया.
स्वारथ ही सूझे ऐसा भी स्याना मत बन भैया.
सिर कितना उधार का बोझा ,निपटे उतना अच्छा,
लोभी मन का कौन ठिकाना लेता राम परीच्छा.
कुछ विचार ले ,कुछ सँवार चल, उड़ मत बन कनकैया.
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कहाँ टिका जीवन का पानी लहर लहरती कहती,
चलता आना-जाना उड़ते पत्ते उड़ते पत्ते नदिया बहती
जड़-जंगम को नाच नचावे नटखट रास-रचैया .
जो बीजा सो काटेगा रे कह गये बूढ़ पुरनिया,
चक्कर काटेगा कितने ही यही रहेगी दुनिया.
स्वारथ ही सूझे ऐसा भी स्याना मत बन भैया.
सिर कितना उधार का बोझा ,निपटे उतना अच्छा,
लोभी मन का कौन ठिकाना लेता राम परीच्छा.
कुछ विचार ले ,कुछ सँवार चल, उड़ मत बन कनकैया.
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