गुरुवार, 13 अगस्त 2020

ओ ,बाँके-बिहारी !

 ओ ,बाँके-बिहारी !

[तुम्हारी जैसी ही नटखट,मोहक, निराली विधा, नचारी में तुम्हारी महिमा गा रही हूँ ,इसकी बाँकी मुद्रा तुम्हारे त्रिभंगी रूप से खूब मेल खाएगी. अर्पित करती हूँ ,तुम्हारे श्री-चरणों में यह नचारी-]

*

दुनिया के देव सब देवत हैं माँगन पे ,

और तुम अनोखे ,खुदै मँगिता बनि जात हो !

अपने सबै धरम-करम हमका समर्पि देओ ,

गीता में गाय कहत, नेकु ना लजात हो !

*

वाह ,वासुदेव ,सब लै के जो भाजि गये,

कहाँ तुम्हे खोजि के वसूल करि पायेंगे !

एक तो उइसेई हमार नाहीं कुच्छौ बस ,

तुम्हरी सुनै तो बिल्कुलै ही लुट जायेंगे! 

*

अरे ओ नटवर ,अब कितै रूप धारिहो तुम ,

कैसी मति दीन्हीं महाभारत रचाय दियो !

जीवन और मिर्त्यु जइस धारा के किनारे खड़े,

आपु तो रहे थिर ,सबै का बहाय दियो !

*

तुम्हरे ही प्रेरे, निरमाये तिहारे ही ,

हम तो पकरि लीन्हों तुम छूटि कितै जाओगे !

लागत हो भोरे ,तोरी माया को जवाब नहीं,

नेकु मुस्काय चुटकी में बेच खाओगे !

एक बेर हँसि के निहारो जो हमेऊ तनि ,

हम तो बिन पूछे बिन मोल बिकि जायेंगे ! 

काहे से बात को घुमाय अरुझाय रहे ,

तू जो पुकारे पाँ पयादे दौरि आयेंगे !

*

- प्रतिभा.


12 टिप्‍पणियां:

  1. लाजवाब सृजन।
    शुभकामनाएं कृष्ण जन्मष्टमी की।

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  2. कन्हैया की हर अदा ही निराली है.. सरस लेखनी !

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  3. आपके भक्ति पद पढ़ कर भाव विभोर हो उठा मन । जय श्री कृष्ण .. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं मैम!

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  4. भक्तिभाव से परिपूर्ण सुन्दर गीत । आभार।
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

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  5. बहुत सुंदर रचना
    बधाई
    🙏🇮🇳🙏

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  6. एक बेर हँसि के निहारो जो हमेऊ तनि ,

    हम तो बिन पूछे बिन मोल बिकि जायेंगे !

    काहे से बात को घुमाय अरुझाय रहे ,

    तू जो पुकारे पाँ पयादे दौरि आयेंगे !,,,,,,,,,।बहुत सुंदर रचना ।आदरणीया शुभकामनाएँ ।

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  7. वाह ... आत्मा तृप्ति का भाव पा गई जैसे ...
    मन विभोर हो उठा काँटा की प्रीत में ... अनुपम रचना ...

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