मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

स्वीकार करो अभिनन्दन.

स्वीकार करो अभिनन्दन.

इस नये वर्ष में जागें नई विभाएँ ,

आकाश उजेला प्रमुदित रहें दिशाएँ ,

सरिताएं निर्मल बहें  ,सुदृढ़ गिरिमाला ,

समवेत स्वरों में गूँजें नई ऋचाएँ

आनन्द-स्वरों से भरे  प्रकृति का प्रांगण.

ये शाप-ताप उत्पात शमित होंगे ही ,

दृढ़ इच्छा शक्ति जाग जायेगी जिस क्षण.

पर इसके लिये सचेत,संतुलित,संयत

सुस्थिर हो ऊर्जा-सिक्त मनुजता का मन .

कितना पथ पार, जुड़े जिस संवेदन से ,

ओ सहयात्री, स्वीकार करो अभिनन्दन.

- प्रतिभा सक्सेना