सोमवार, 16 नवंबर 2020

कायस्थ

 


                                                                 ।।ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः।।


कायस्थ -

श्री चित्रगुप्त का अंशज जो मसिजीवी,विधि का अनुगाता.

पुस्तिका सहचरी,वर्ण मित्र,लेखनि से जनम-जनम नाता, 

जीवन अति सहज,निराडंबर अनडूबा लोभों-लाभों में ,

अनुशासन शिक्षा संस्कार स्वाधीन-चेत रह भावों में.


व्यवहार,आचरण, खान-पान ,काया संसारोचित स्वभाव,

पर अंतर  का अवधूत, परखता अपने ग्राह्य-अग्राह्य सतत,

सब में रह कर भी सबसे ही कुछ विलग भिन्न-सा रह जाता,

इस चतुर्वर्ण में गण्य न जो, कायस्थ वही तो कहलाता !

 - प्रतिभा

(चित्र- गूगल से साभार)