*
दूर-दूर तक जाएँ ,
मेरी मंगल कामनाएँ!
कोई जाने , न जाने -
तरल तरंगों सी प्रतिध्वनि ,
सब अपनो में जगाएँ !
मौसमी हवाओं सँग मेरे सँदेसे
शुभ ऊर्जा जगाते ,
आनन्द-उछाह भरें,
मन में उजास जगा,
दूर करें मलिन छायाएँ!
सदिच्छा के सूक्ष्म बीज
नेह-गंधमय फसल उगाते ,
हर बरस
चतुर्दिक् बिखर जाएँ,
बिखरते जाएँ !
*
- प्रतिभा सक्सेना.
दूर-दूर तक जाएँ ,
मेरी मंगल कामनाएँ!
कोई जाने , न जाने -
तरल तरंगों सी प्रतिध्वनि ,
सब अपनो में जगाएँ !
मौसमी हवाओं सँग मेरे सँदेसे
शुभ ऊर्जा जगाते ,
आनन्द-उछाह भरें,
मन में उजास जगा,
दूर करें मलिन छायाएँ!
सदिच्छा के सूक्ष्म बीज
नेह-गंधमय फसल उगाते ,
हर बरस
चतुर्दिक् बिखर जाएँ,
बिखरते जाएँ !
*
- प्रतिभा सक्सेना.
आपकी मंगलकामनाएँ रचना पढ़ते समय पहुंची ..नववर्ष की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं मैम .
जवाब देंहटाएंआपको भी सपरिवार शुभकामनाएं नववर्ष 2020 की।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चाह ... सुन्दर मंगलकामनाओं की ...
जवाब देंहटाएंआपको भी नव वर्ष २०२० की मंगल कामनाएं ...
.वाह!
जवाब देंहटाएं