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यही है मेरा अपना देश ,विश्व में जिसका नाम विशेष,
धार कर विविध रूप रँग वेष, महानायक यह भारत देश.
सुदृढ़ स्कंध, सिंह सा ओज, सत्य से दीपित ऊँचा भाल,
प्रेम-तप पूरित हृदय-अरण्य, बोधमय वाक्,रुचिर स्वरमाल.
वनो में बिखरा जीवन-बोध,उद्भिजों का अनुपम संसार,
धरा पर जीवन का विस्तार सभी जीवों का सम अधिकार,
सहज करुणा से निस्सृत छंद,जहाँ जीवन दर्शन आनन्द,
प्रकृति से आत्मीय अनुबंध, आत्म-विस्तारण हेतु प्रबंध.
विश्व-मंगल के सतत प्रयत्न ,सभी सुख पायें सहित उमंग ,
सभी के लिये सहोदर भाव ,पंचभूतों में शान्ति सुरम्य.
वायु, जल, थल, आकाश, प्रकाश ,सभी में मंगल का अधिवास ,
सुनहरी धूप रुपहली साँझ,उजलती भोर झिलमिली रात.
छहों ऋतुों की क्रीड़ा-भूमि,इसी का ज्योतित भास्वर नाम.
साधना के चढ़ते सोपान,आत्म के बढ़ते अनुसंधान,
मेरु-चक्रों में ज्योतिर्लिंग, पुण्यमय है जिसका शुभ दर्श,
बौद्धिक, मुक्त विचार विमर्ष, यही है अपना भारतवर्ष.
यही है देवभूमि, औ' भाष्,ज्ञान का प्रथम यहीं उद्घात,
भरे सातों सुर पवन तरंग,आत्म में अविरत अनहद नाद.
गूंजते जहाँ भक्ति के गीत,सूर मीरा,तुलसी की तान,
यहीं के हैं रैदास, कबीर, यहीं संभव हैं कवि रसखान.
जन्मजन्मान्तर तन अवशेष चढ़ें इस की माटी को भेंट,
मिलें जीवन को शुभ संस्कार,यही हर एक जन्म की टेक.
यही है मेरा अपना देश,धरे मानवता के संस्कार .
यहाँ पाया जीवन ने आदि,यहीं आकर हो उपसंहार!
यही है मेरा अपना देश ,विश्व में जिसका नाम विशेष,
धार कर विविध रूप रँग वेष, महानायक यह भारत देश.
सुदृढ़ स्कंध, सिंह सा ओज, सत्य से दीपित ऊँचा भाल,
प्रेम-तप पूरित हृदय-अरण्य, बोधमय वाक्,रुचिर स्वरमाल.
वनो में बिखरा जीवन-बोध,उद्भिजों का अनुपम संसार,
धरा पर जीवन का विस्तार सभी जीवों का सम अधिकार,
सहज करुणा से निस्सृत छंद,जहाँ जीवन दर्शन आनन्द,
प्रकृति से आत्मीय अनुबंध, आत्म-विस्तारण हेतु प्रबंध.
विश्व-मंगल के सतत प्रयत्न ,सभी सुख पायें सहित उमंग ,
सभी के लिये सहोदर भाव ,पंचभूतों में शान्ति सुरम्य.
वायु, जल, थल, आकाश, प्रकाश ,सभी में मंगल का अधिवास ,
सुनहरी धूप रुपहली साँझ,उजलती भोर झिलमिली रात.
छहों ऋतुों की क्रीड़ा-भूमि,इसी का ज्योतित भास्वर नाम.
साधना के चढ़ते सोपान,आत्म के बढ़ते अनुसंधान,
मेरु-चक्रों में ज्योतिर्लिंग, पुण्यमय है जिसका शुभ दर्श,
बौद्धिक, मुक्त विचार विमर्ष, यही है अपना भारतवर्ष.
यही है देवभूमि, औ' भाष्,ज्ञान का प्रथम यहीं उद्घात,
भरे सातों सुर पवन तरंग,आत्म में अविरत अनहद नाद.
गूंजते जहाँ भक्ति के गीत,सूर मीरा,तुलसी की तान,
यहीं के हैं रैदास, कबीर, यहीं संभव हैं कवि रसखान.
जन्मजन्मान्तर तन अवशेष चढ़ें इस की माटी को भेंट,
मिलें जीवन को शुभ संस्कार,यही हर एक जन्म की टेक.
यही है मेरा अपना देश,धरे मानवता के संस्कार .
यहाँ पाया जीवन ने आदि,यहीं आकर हो उपसंहार!
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इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंभारतवर्ष का अत्यंत सुन्दर मनोहारी वर्णन..बेहद खूबसूरत सृजन आदरणीया !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (27-09-2019) को "महानायक यह भारत देश" (चर्चा अंक- 3471) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। --हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आ. शास्त्री जी ,आभारी हूँ .
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 26 सितंबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट
जवाब देंहटाएंनमन है ...
जवाब देंहटाएंये देश जिसका आपने इतना विशाल वर्णन किया है किसी देव से ... किसी देवी से कम कहाँ है ... ये मिट्टी नहीं प्राण है ... विशाल है महान है ... आन बान शान है ...
बहुत ही उत्कृष्ट लेखन ...
वाह बहुत सुंदर विरुदावली, स्व देश पर नाज है,देश ही आन है , सांगोपांग छवि चित्रण । बहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंभारत माता को सत सत नमन ,बहुत ही सुंदर रचना ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंदेश को नमन। आपकी भावनाओं को नमन।
जवाब देंहटाएंभारत भूमि का सुंदर महिमा गान..
जवाब देंहटाएंभारत सरकार द्वारा देश कि गरीबी रेखा से नीचे आने वाले बी पी एल श्रेणी के परिवारों कि बेटियों के विवाह के लिए आर्थिक सहायता भी प्राप्त कर सकता हैं! जिन परिवारों कि वार्षिक आय कम हैं वे अपनी बेटियों के विवाह के लिए इन योजना के माध्यम से लाभ उठा सकते हैं!
जवाब देंहटाएंSarkari yojana Form इस योजना का लाभ शहरी और ग्रामीण महिलाओं दोनों के लिए दिया जायेगा