*
बेटा तरु पर बैठा तोता ,दूर-दूर उड़ जाता ,
मैना जैसी चहक रही तू,मेरी रानी बिटिया ,
बड़ा घड़ा है बेटा जल का उठता नहीं उठाए,
प्यास बुझा शीतल कर देती ,बेटी छोटी- लुटिया .
*
कोना-कोना महक भर रही प्यार भरी ये बोली ,
तेरे कंठ स्वरों में किसने ऐसी मिसरी घोली !
बेटा उछल-कूद कर करता रहता हल्ला-गुल्ला
दुनिया भर की बातें कहता-सुनता, बड़ा चिबिल्ला !
*
जूतों को उछाल देता वह फेंक हाथ का बस्ता,
डाल जुराबें इधर-उधर जैसे ही घर में घुसता
तुझे छेड़ कर हँसता, करता मनमानी शैतानी ,
पर रूठे तो तुरत मनाता, मेरी गुड़िया रानी !
*
दोनो हैं दो छोर, जिन्हें पा भर जाता हर कोना ,
राखी ,सावन,दूज, दिवाली हर त्योहार सलोना.
घर-देहरी सज गई कि जैसे राँगोली पूरी हो ,
हँसने लगता घर ज्यों बिखरी फूलों की झोली हो !
*
घर से बाहर नहीं हुआ करते सब अपनों जैसे ,
तरह-तरह के लोगों में कुछ होंगे ऐसे-वैसे .
तेरा भइया तुझे छाँह देगा इस विषम डगर में ,
उसके साथ निडर हो लड़ना, इस संसार-समर में !
*
बाहर की दुनिया में वह है चार नयन से चौकस ,
कहीं न मेरी बहिना पर आ जाए कोई संकट .
डोली में बिठला कर तुझको बिदा करेगा जिस दिन ,
बार-बार टेरेगा तुझको , इस घर का खालीपन !
*
मेरी दो आँखें तुम दोनों , तुम ही असली धन हो
जीजी औ'भइया का सुखमय प्यार भरा जीवन हो !
साथ निभाना इक-दूजे का बाँध नेह की डोरी.
तुम हो मेरे पुण्य ,और तुम हँसी-खुशी हो मेरी !
*
बेटा तरु पर बैठा तोता ,दूर-दूर उड़ जाता ,
मैना जैसी चहक रही तू,मेरी रानी बिटिया ,
बड़ा घड़ा है बेटा जल का उठता नहीं उठाए,
प्यास बुझा शीतल कर देती ,बेटी छोटी- लुटिया .
*
कोना-कोना महक भर रही प्यार भरी ये बोली ,
तेरे कंठ स्वरों में किसने ऐसी मिसरी घोली !
बेटा उछल-कूद कर करता रहता हल्ला-गुल्ला
दुनिया भर की बातें कहता-सुनता, बड़ा चिबिल्ला !
*
जूतों को उछाल देता वह फेंक हाथ का बस्ता,
डाल जुराबें इधर-उधर जैसे ही घर में घुसता
तुझे छेड़ कर हँसता, करता मनमानी शैतानी ,
पर रूठे तो तुरत मनाता, मेरी गुड़िया रानी !
*
दोनो हैं दो छोर, जिन्हें पा भर जाता हर कोना ,
राखी ,सावन,दूज, दिवाली हर त्योहार सलोना.
घर-देहरी सज गई कि जैसे राँगोली पूरी हो ,
हँसने लगता घर ज्यों बिखरी फूलों की झोली हो !
*
घर से बाहर नहीं हुआ करते सब अपनों जैसे ,
तरह-तरह के लोगों में कुछ होंगे ऐसे-वैसे .
तेरा भइया तुझे छाँह देगा इस विषम डगर में ,
उसके साथ निडर हो लड़ना, इस संसार-समर में !
*
बाहर की दुनिया में वह है चार नयन से चौकस ,
कहीं न मेरी बहिना पर आ जाए कोई संकट .
डोली में बिठला कर तुझको बिदा करेगा जिस दिन ,
बार-बार टेरेगा तुझको , इस घर का खालीपन !
*
मेरी दो आँखें तुम दोनों , तुम ही असली धन हो
जीजी औ'भइया का सुखमय प्यार भरा जीवन हो !
साथ निभाना इक-दूजे का बाँध नेह की डोरी.
तुम हो मेरे पुण्य ,और तुम हँसी-खुशी हो मेरी !
*
आश्वस्ति भरी कविता
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना बुधवार 30 जुलाई 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बेटे-बेटी के प्रति माँ का वात्सल्य भाव तथा भाई-बहिन के प्यार की
जवाब देंहटाएंसुन्दर अनूठी अभिव्यक्ति ने मन को मुग्ध कर लिया । आनन्द आ गया ।साधुवाद !
मनमोहक भाव... सुन्दर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंमाँ! आज इस कविता को पढते हुये मेरे कानों में बस एक ही गीत गूँज रहा है - अबके बरस भेज भैया को बाबुल!! घर आँगन के बच्चों से शुरू करके उन बच्चों के आपसे सम्बन्धों और उन सम्बन्धों को बाँधे रखने वाली डोर की इतनी कोमल बुनावट आपने जितनी भावनात्मकता से दर्शाई है कि बस आँखें भर आईं!
जवाब देंहटाएंघर से इतनी दूर बैठकर अपनी बहिन की यादें बरबस चली आईं!!
बेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंतोता मैना सी प्यारी भाई बहन सदा एक दूजे का ख्याल रखे यही सबकी चाहत होती है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन ईद मुबारक और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंलाजवाब
भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबन्धन आने ही वाला है..शायद उसी की भूमिका है आपकी यह सुंदर कविता..
जवाब देंहटाएंभाई बहन के पावन बंधन को धब्दों के माध्यम से पावस बना दिया आपने ... कितनी ही यादों को झंझोड़ दिया आपने ...
जवाब देंहटाएंअपनों के प्यार की डोर बहुत मजबूत होती है।
जवाब देंहटाएंसुदर, भावपूर्ण रचना।
कितनी प्यार भरी कविता है. मन खुश हो गया पढ़ कर .
जवाब देंहटाएंओह्ह्ह..कितना खूबसूरत लिखा है आपने, लाजवाब!!!
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा. अंतरजाल पर हिंदी समृधि के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सराहनीय है. कृपया अपने ब्लॉग को “ब्लॉगप्रहरी:एग्रीगेटर व हिंदी सोशल नेटवर्क” से जोड़ कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुचाएं. ब्लॉगप्रहरी भारत का सबसे आधुनिक और सम्पूर्ण ब्लॉग मंच है. ब्लॉगप्रहरी ब्लॉग डायरेक्टरी, माइक्रो ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, ब्लॉग रैंकिंग, एग्रीगेटर और ब्लॉग से आमदनी की सुविधाओं के साथ एक सम्पूर्ण मंच प्रदान करता है.
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग को ब्लॉगप्रहरी से जोड़ने के लिए, यहाँ क्लिक करें http://www.blogprahari.com/add-your-blog अथवा पंजीयन करें http://www.blogprahari.com/signup .
अतार्जाल पर हिंदी को समृद्ध और सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता आपके सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती.
मोडरेटर
ब्लॉगप्रहरी नेटवर्क
आशीर्वाद , फलीभूत होंगे ! मंगलकामनाएं आपको !
जवाब देंहटाएंapne dono beton ki shaitaniya yaad aa gayi ise padh kar.
जवाब देंहटाएंbahut saras.
दिल को छूते भाव...बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंवाह. सुंदर. मातृत्व से परिपूर्ण
जवाब देंहटाएंWhat a beautiful poem Pratibha jee! Such simplicity of words and parallels! I loved it!
जवाब देंहटाएंAm in the move again so in english