गुरुवार, 1 अगस्त 2019

उत्तर कहाँ -


*

कैसा परचा थमा दिया  
इस परीक्षा कक्ष में 
ला कर तुमने !
प्रश्न ,सारे अनजाने 
 अजीब अनपहचाने,
 विकल्प कोई नहीं . 
नहीं पढ़़ा, यह कुछ पढ़़ा नहीं मैंने,
उत्तर कहाँ से लाऊं?
*
प्रश्नपत्र आगे धरे 
बैठे रहना है 
कोरी कापी - कलम समेटे 
समय का घंटा बजने तक.
*
चक्कर खाता सिर 
कानों में झिन-झिन -
'फ़ेल,फ़ेल,फ़ेल,'
*
- प्रतिभा सक्सेना.

5 टिप्‍पणियां:

  1. नकल भी नहीं की जा सकती है किताबें लिखी ही नहीं गयी हैं।

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  2. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-08-2019) को "हरेला का त्यौहार" (चर्चा अंक- 3416) पर भी होगी।


    --

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    ….

    अनीता सैनी

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  3. ये प्रश्न जिंदगी भी खड़े करती है और किसी न किसी पल इसका जवाब भी स्वयं दे देती है ... कुछ पल के लिए फेल फेल शायद हो जाये ... पर जिंदगी कठोर है ... जवाब ले लेगी ...
    गहरे प्रश्न ...

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  4. आदरणीय प्रतिभा जी
    प्रणाम
    गहरे प्रश्न करती हुई है आपकी रचना

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