बुधवार, 19 सितंबर 2012

नचारी - जय गणेश.


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जय हो गनेश ,प्रथम तुमका मनाय लेई ,
कारज के सारे ही विघ्न टल जायेंगे !
नाहीं तो देवन के दफ़्तर में गुजर नहीं,
तुमका मनाय सारे काज सर जायेंगे !
*
सारे पत्र-बंधन के तुम ही भँडारी हो ,
हमरे निवेदन को पत्र तुम करो सही,
हमसों पुजापा लेइ आगे बढ़ाय देओ !
बाबू हैं गनेस, तिन्हें पूज लेओ पहले ई !
*
दस चढ़ाय देओ, ई हजार बनवाय दिंगे
कलम की मार बड़े-बड़े नाचि जायँगे ,
उदर बिसाल सब चढ़ावा समाय लिंगे
इनकी किरपा से सारे संकट कटि जाहिंगे !
*
कहूँ जाओ द्वारे पे बैठे मिलि जावत हैं ,
देखत रहत कौन, काहे इहाँ आयो है !
कायदा कनून तो जीभै पे धर्यो है पूरो!
नाक बड़ी लंबी, सूँघ लेत सब उपायो हैं
*
चाहे लिखवार ,तबै लिखन बैठ जाइत हैं
क्लर्की निभात बड़े बाबू पद पायो  है.
वाह रे गनेस, तोरी महिमा अपार
आज तक किसउ से जौन बुद्धि में न हार्यो है!
*
विधना के दफ़्तर के इहै बड़े बाबू हैं
पूजै प्रथम बिना तो काजै न होयगो,
सारी ही लिखा-पढ़ी इनही के हाथ,
जौन उनते बिगार करे जार-जार रोयगो !
*
हाथन में लडुआ धरो , पत्र-पुस्प अर्पन करो ,
सुख से निचिंत ह्वैके जियो जिय खोल के
पहुँचवारे पूत, रुद्र और चण्डिका के है जे,
इनके गुन गान करो, सदा जय बोल के !
(पूर्व रचित)
***

18 टिप्‍पणियां:

  1. प्रासंगिक, सार्थक और आत्‍मीय.

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  2. विघ्नहर्ता ,गणनायक का सुन्दर गुणगान ...!!
    भाषा मन मोह रही है ..!!
    मीठी ....बहुत सुन्दर अर्चना ...!!आभार ..!!

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  3. जय हो गणपति बाप्पा की ...
    सुन्दर काव्य रचा है आपने ... गणपति अर्चना ...

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  4. चाहे लिखवार ,तबै लिखन बैठ जाइत हैं
    क्लर्की निभात बड़े बाबू पद पायो है.
    वाह रे गनेस, तोरी महिमा अपार
    आज तक किसउ से जौन बुद्धि में न हार्यो है!

    जय जय जय गंपपति जग बंदन सदैव की भांति अद्भुत रचना माता जी प्रणाम स्वीकार करें

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  5. अहा, पढ़कर सारे मन के सारे विघ्न चले गये हों मानो।

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  6. विघ्नहर्ता ,गणेश जी का सुन्दर गुणगान ...!!

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  7. गनपति बाबा की जय। मेरे नए पोस्ट समय सरगम पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  9. यह नए दौर की स्तुति तो बहुत अदभुत रची प्रतिभा जी. पढकर मजा आ गया.

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  10. इस नचारी को गुन कर मन को अच्छा लगा।

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  11. यह वंदना कैसे छूट गयी .... गणपति की हर जगह ज़रूरत है .... आज के हिसाब से सुंदर वंदना ।

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  12. वाह ...भाषा गज़ब का सम्मोहन छोड़ रही है.

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  13. वाह! प्रतिभा जी.
    कमाल का तीखा व्यंग्य प्रस्तुत
    करती गणेश स्तुति है.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.

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  14. आपकी भाषा और शैली आकर्षित करती है.

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