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एक रंग है प्रीत का, बाकी सब तो स्याम,
अक्षर-अक्षर तू लिखा, मैं रह गई अनाम .
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जो जंगल सुलगा रहे, वही पलाश बटोर,
घोल रंग होली किया, दहक रहा हर पोर .
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उसी आग के रंग से, चूनर रँग दे श्याम ,
तन-मन ताप समा गया, अब संसार हराम .
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क्यों साबुन रगड़े सखी,चढ़ा श्याम का रंग
फीका कैसे होयगा ,जब हो रहा अनंग.
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मेरा तन मत नाप रे , साजन से ले पूछ,
फीका कैसे होयगा ,जब हो रहा अनंग.
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मेरा तन मत नाप रे , साजन से ले पूछ,
दरजी, तब पोषाक में रहे न कोई चूक.
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बहुत प्यारे दोहे.
जवाब देंहटाएंअहा, बड़े प्यारे..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे रचे हैं...
जवाब देंहटाएंbahut sundar dohe .....
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनायें आपको .....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत दोहे...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन दोहे होली के
जवाब देंहटाएंहोली की बहुत शुभकामनायें प्रतिभा जी
होली के दोहे,
जवाब देंहटाएंसबका मन मोहे।
होली की हार्दिक शुभकामनाएं !
कितने सुन्दर दोहे है .. होली की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंक्या बात
होली की शुभकामनाएं
होली पर आप को हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंbahut badhiya dohe
जवाब देंहटाएंहोली की महिमा न्यारी
जवाब देंहटाएंसब पर की है रंगदारी
खट्टे मीठे रिश्तों में
मारी रंग भरी पिचकारी
होली की शुभकामनायें
वाह .. लाजवाब ... जीवन के रंगबिरंगे रंगों में रंगे .. दोहे ...
जवाब देंहटाएंआपको होली की शुभ्कम्नाये
Preet ke rang mein doobe dohe bahut hee sunder ban pade hain Pratibhaji!
जवाब देंहटाएंHoli pe pranam!
Shar
एक से बढ़ कर एक दोहे ...
जवाब देंहटाएंवाह, वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दोहे ....बहुत ही सुन्दर ...!!
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