*
चाहती हूँ स्वीकृति -
कि मैं हूँ एक व्यक्ति
अभिव्यक्ति सहित .
उन्हीं क्षमताओं दुर्बलताओं सँग आई हूँ ,
बुद्धि-संवेगों की वही भेंट पाई हूँ ,
जैसे तुम !
*
कितनी मुश्किलें,
पर फिर भी यहीं खड़ी हूँ .
जीवन की डोर थाम ,
आर-पार लगातार गिरी और चढ़ी हूँ .
एक दीर्घ स्वर और धार कर आई
वही गाँठ बाँध धारे हूँ !
हल्की हूँ तन से
मन से बहुत भारी हूँ .
नारी हूँ !
*
कभी भुक्ति ,कभी मुक्ति,
शांति-भ्रांति या कि अहं ,
भागते हो घबरा कर
अपने लिये तुम.
अपने नहीं ,
अपनों के लिये हारी हूँ.
नारी हूँ !
*
थोड़ा- सा अधिक और -
कुंठित मत होना !
ममता के सूत कात घनताएँ वहने को ,
सृजन की उठा-पटक,
दारुण-पल सहने को ,
सहज नहीं मरती ,
कठोर जान लाई हूँ !
व्यक्ति-अभिव्यक्ति सभी ,
नहीं परछाईँ हूँ !
जैसे तुम !
*
चाहती हूँ स्वीकृति -
कि मैं हूँ एक व्यक्ति
अभिव्यक्ति सहित .
उन्हीं क्षमताओं दुर्बलताओं सँग आई हूँ ,
बुद्धि-संवेगों की वही भेंट पाई हूँ ,
जैसे तुम !
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कितनी मुश्किलें,
पर फिर भी यहीं खड़ी हूँ .
जीवन की डोर थाम ,
आर-पार लगातार गिरी और चढ़ी हूँ .
एक दीर्घ स्वर और धार कर आई
वही गाँठ बाँध धारे हूँ !
हल्की हूँ तन से
मन से बहुत भारी हूँ .
नारी हूँ !
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कभी भुक्ति ,कभी मुक्ति,
शांति-भ्रांति या कि अहं ,
भागते हो घबरा कर
अपने लिये तुम.
अपने नहीं ,
अपनों के लिये हारी हूँ.
नारी हूँ !
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थोड़ा- सा अधिक और -
कुंठित मत होना !
ममता के सूत कात घनताएँ वहने को ,
सृजन की उठा-पटक,
दारुण-पल सहने को ,
सहज नहीं मरती ,
कठोर जान लाई हूँ !
व्यक्ति-अभिव्यक्ति सभी ,
नहीं परछाईँ हूँ !
जैसे तुम !
*
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंwaah....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भाव...
हल्की हूँ तन से
मन से बहुत भारी हूँ .
नारी हूँ !
बहुत सुन्दर...
सादर
अनु
सर्वप्रथम इस शक्ति का स्वयं में अनुभूति तब समक्ष प्रस्तुति अति आवश्यक है.
जवाब देंहटाएंव्यक्ति-अभिव्यक्ति सभी ,
जवाब देंहटाएंनहीं परछाईँ हूँ !
....बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रभावी अभिव्यक्ति....
बहुत सुंदर रचना......
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति बेटी न जन्म ले यहाँ कहना ही पड़ गया . आप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
जवाब देंहटाएंदोनों की अपनी बातें हैं,
जवाब देंहटाएंसंग रहें तो शक्ति,
बढ़ते बन आसक्ति,
रक्तिम विरही वेला,
आशाओं का मेला,
दिन से क्यों तपती रातें हैं,
दोनों की अपनी बाते हैं।
हल्की हूँ तन से
जवाब देंहटाएंमन से बहुत भारी हूँ ...
सच है ...
वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 04-02-2013 को चर्चामंच-1145 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
अपने नहीं ,
जवाब देंहटाएंअपनों के लिये हारी हूँ.
नारी हूँ !
उत्कृष्ट रचना ..... नारी मन के गहरे भाव ....
अति उत्तम | आभार |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
अपनों के लिये हारी हूँ.
जवाब देंहटाएंनारी हूँ !
ye panktiyan lajavaab ...
प्रभावी प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरेया ||
व्यक्ति-अभिव्यक्ति सभी ,
जवाब देंहटाएंनहीं परछाईँ हूँ !
बहुत सुंदर पंक्तियाँ...नारी मन को उकेरती हुईं..
वैसे कि जैसे तुम !
जवाब देंहटाएंशानदार !
अपने नहीं ,
जवाब देंहटाएंअपनों के लिये हारी हूँ.
नारी हूँ !
विचार और भाव का सशक्त सम्प्रेषण .
कानून ने बराबर माना, समाज (पुरुष) को भी अपनी सोच बदलना होगा...
जवाब देंहटाएंमैं हूँ एक व्यक्ति
अभिव्यक्ति सहित .
उन्हीं क्षमताओं दुर्बलताओं सँग आई हूँ ,
बुद्धि-संवेगों की वही भेंट पाई हूँ ,
जैसे तुम !
शुभकामनाएँ.
गहन विचारों की सशक्त अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
वैसे ही जैसे तुम ...
जवाब देंहटाएंस्वीकार तो ऐसे हो होना चाहिए ... मन की अभिलाषा को प्रभावी शब्दों में उकेरा है ...
बहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएं:-)
सृजन की उठा-पटक,
जवाब देंहटाएंदारुण-पल सहने को ,
सहज नहीं मरती ,
कठोर जान लाई हूँ !
व्यक्ति-अभिव्यक्ति सभी ,
नहीं परछाईँ हूँ !
जैसे तुम !
नारी के हृदय को खोल कर रख दिया है .... बहुत सुंदर रचना
मैं हूँ एक व्यक्ति
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति सहित .
उन्हीं क्षमताओं दुर्बलताओं सँग आई हूँ ,
बुद्धि-संवेगों की वही भेंट पाई हूँ ,
जैसे तुम !- ओजस्वी वाणी !
नारी की अस्मिता को जगाती,उसको अपनी शक्ति का अहसास कराती और
सामाजिक मान्यताओं को ललकारती एक सशक्त अभिव्यक्ति,जो मन पर
गहरा प्रभाव छोड़ती है। इसमें प्रतिभा जी ने नारी-मन की गहराइयों में छिपी भावनाओं को बड़ी ही सुन्दरता एवं सहजता से उकेरा है। साधुवाद!!
कभी भुक्ति ,कभी मुक्ति,
जवाब देंहटाएंशांति-भ्रांति या कि अहं ,
भागते हो घबरा कर
अपने लिये तुम.
अपने नहीं ,
अपनों के लिये हारी हूँ.
नारी हूँ !
बहुत गहनता लिए उत्कृष्ट रचना ! बहुत ही सुन्दर !
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 07-02 -2013 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं....
आज की हलचल में .... गलतियों को मान लेना चाहिए ..... संगीता स्वरूप
.
बहुत-बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ! दिल को छू गयी ....
जवाब देंहटाएं~सादर!!!
बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसाधारण सी दिखने वाली बात भी कितनी कठिन हो जाती है ...
जवाब देंहटाएंमंगल कामनाएं आपको !
जवाब देंहटाएंहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !!!!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं