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शीश चढ़ा कर बलिवेदी पर यज्ञकंड में आहुति बन कर,
वीर शहीद कर गये अपनी,जन्मभूमि पर प्राण निछावर .
तब भयभीत फिरंगी भागा लेकिन डाल गया जो फंदा,
देश तोड़ कर गया कुचक्री जो था सदा नियत का मंदा
जुड़ें बिखरती कड़ियाँ फिर से, ये ही अब व्रत रहे हमारा !
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कैसे कैसे लोग मूँग दल रहे हैं माँ की छाती पर ,
अपना उल्लू साध रहे, भाषा संस्कृति सब दाँव लगा कर .
कुछ घर में ही ,कुछ बाहर जा बैठे अपनी घात लगाए .
खड़ा पीठ में छुरा भोंकने कोई हाथ-पाँव फैलाए.!
हम अपनी सामर्थ्य दिखा कर स्वयं करें अपना निपटारा !
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कायर बने ओढ़ कर फटा लबादा वही अहिंसावाला ,
अपने प्रहरी झोंक, तापते दुश्मन की चेताई ज्वाला .
सबको उत्तर देने का दम ,स्वाभिमान से रहने का प्रण ,
वही करें नेतृत्व राष्ट्र का स्वच्छ पारदर्शी जिनके मन .
स्वार्थ और संकीर्ण वृत्ति, निर्णीत न करे विधान हमारा !
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कहीं अस्मिता अपनी गुम न जाय इस फैली चकाचौंध में
जागो मेरे देश वासियों ,शामिल मत हो अंध दौड़ में
जीवन के सच खोज-शोध भंडार भरा असली निधियों से .
कहीं न बिक जाये गैरों के हाथ ,जुड़ा था जो सदियों से
जन-जन जागो ,दमक उठे जो धुँधलाया अपना ध्रुव-तारा !
तब गूँजे अपना जयकारा !
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सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंतब भयभीत फिरंगी भागा लेकिन डाल गया जो फंदा,
देश तोड़ कर गया कुचक्री जो था सदा नियत का मंदा
अब देखने वाली बात है कि ५० वर्षों में क्या से क्या हुआ ..अब खुद पिछलग्गू बन घूम रहे हैं....और जैसे जैसे हमारे जैसे विकाशील देश आगे बढ़ेंगे ..वो और पीछे ही जायेंगे.
ab to ye jaykara goonjna hi chahiye
जवाब देंहटाएंnason-naadiyon me naye rakt ka sanchaar karti sashakt rachna.
जवाब देंहटाएंbadhayi.
संस्कृति की लहरियाँ पुनः गूँजेगी..
जवाब देंहटाएंकहीं अस्मिता अपनी गुम न जाय इस फैली चकाचौंध में
जवाब देंहटाएंजागो मेरे देश वासियों ,शामिल मत हो अंध दौड़ में
सचमुच यह अंधी दौड़ कहीं नहीं ले जायेगी..
अति सुन्दर ,भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना..
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जवाब देंहटाएंकहीं अस्मिता अपनी गुम न जाय इस फैली चकाचौंध में
जागो मेरे देश वासियों ,शामिल मत हो अंध दौड़ में
जीवन के सच खोज-शोध भंडार भरा असली निधियों से .
कहीं न बिक जाये गैरों के हाथ ,जुड़ा था जो सदियों से
जन-जन जागो ,दमक उठे जो धुँधलाया अपना ध्रुव-तारा !
तब गूँजे अपना जयकारा !
संस्कृति को जागृत करती चेतना को झंकृत करती ..... निःशब्द
माता जी को प्रणाम .वन्देमातरम
कायर बने ओढ़ कर फटा लबादा वही अहिंसावाला ,
जवाब देंहटाएंअपने प्रहरी झोंक, तापते दुश्मन की चेताई ज्वाला .
सबको उत्तर देने का दम ,स्वाभिमान से रहने का प्रण ,
वही करें नेतृत्व राष्ट्र का स्वच्छ पारदर्शी जिनके मन .
स्वार्थ और संकीर्ण वृत्ति, निर्णीत न करे विधान हमारा !
सही कहा आपने
प्रभावशाली रचना !
सादर !
आशाएं बनी रहें ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
सार्थक भावों से सचेत करती पंक्तियाँ......
जवाब देंहटाएंअब तो जागने के अतिरिक्त अन्य विकल्प भी नहीं है..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हुँकार ...जरुरी हैं वर्तमान परिद्रश्य में ...
जवाब देंहटाएंसोते को जगाती रचना।
जवाब देंहटाएंकहीं अस्मिता अपनी गुम न जाय इस फैली चकाचौंध में
जवाब देंहटाएंजागो मेरे देश वासियों ,शामिल मत हो अंध दौड़ में
very inspiring creation
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कहीं अस्मिता अपनी गुम न जाय इस फैली चकाचौंध में
जवाब देंहटाएंजागो मेरे देश वासियों ,शामिल मत हो अंध दौड़ में...बहुत सुन्दर, सच्चा ..सटीक आवाहन
सच्चा आह्वान करती और चेतना जगाती सशक्त रचना
जवाब देंहटाएंप्रेरणा और हौसला बढ़ाती रचना के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंकहीं न बिक जाये गैरों के हाथ ,जुड़ा था जो सदियों से
जवाब देंहटाएंजन-जन जागो ,दमक उठे जो धुँधलाया अपना ध्रुव-तारा !
तब गूँजे अपना जयकारा !
उल्लसित करता यह आह्वान-स्वर जन-जन तक पहुंचे।
बहुत खूब..
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