*
राख का ढेर समझा तुमने
जहाँ दबे पड़े थे शोले !
लो ,उड़ी एक चिंगारी ,
मलाला यूसुफ़ज़ई !
*
हवा चलेगी ,अंगारे दहकेंगे ,
एक नहीं अनगिनत.
मटमैला पट हटा कर,
सुलग उठेंगे एक साथ !
कैसे रोक सकोगे
लपटों को दहकने से !
*
अकेली नहीं तुम ,
हम सब तुम्हारे साथ ,.
हम जो मानते हैं अभिव्यक्ति को
व्यक्ति का अधिकार और
औरत को पूरे आकार में खड़े होने का
हक़दार !
*
मलाला ,
कोटि कंठों की ,
दबी आवाज़ें खोल दीं तुमने !
ज़मीर जाग उठा .
अब तो बदल डालेंगे ,
दोहरे पैमाने ये सारे !
पूरे हो कर रहेंगे ,
आँखों के ख़्वाब तुम्हारे !
*
राख का ढेर समझा तुमने
जवाब देंहटाएंजहाँ दबे पड़े थे शोले !
लो ,उड़ी एक चिंगारी ,
मलाला यूसुफ़ज़ई !
mata ji pranam dil ko chhoo gai
बहुत ही अद्भुत रचना प्रतिभाजी ....!
जवाब देंहटाएंख्वाब अवश्य पूरे होंगे ...
जवाब देंहटाएंमलाला यूसुफ़ज़ई के हौसले को सलाम ....बदलाव की आशाएं जागते हैं ऐसे व्यक्तित्व.....
जवाब देंहटाएंसलाम!!!!
जवाब देंहटाएंअद्भुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंएक सार्थक एवं सशक्त रचना!
जवाब देंहटाएंक्रान्ति की एक चिंगारी दावानल की भाँति सब कुछ विध्वंस कर देगी।
सावधान!!
"संघे शक्तिः कलौ युगे।"मलाला यूसुफ़ज़ई, आगे बढ़ो।
अकेली नहीं तुम ,
जवाब देंहटाएंहम सब तुम्हारे साथ ,.
हम जो मानते हैं अभिव्यक्ति को
व्यक्ति का अधिकार और
औरत को पूरे आकार में खड़े होने का
हक़दार !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. मलाला की तरह कितनी आवाजों को खामोश करने को दुनिया आतुर रहती है. दुनिया बदल रही है धीरे धीरे इसलिये बेहतर दुनिया की उम्मीद करता हूँ जिसमें सबकी अपनी आवाजें हों, अपना वज़ूद हो.
सशक्त रचना
जवाब देंहटाएंहक की लड़ाई लड़नेवालों की हौसला-अफजाई होनी ही चाहिए. इस कविता में आपके उदगार बेहतर तरीके से अभिव्यक्त हुए हैं. बधाई स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंअद्भुत .हमेशा की तरह.
जवाब देंहटाएंमलाला पर लिखी बेहद संवेदनशील रचना..खुदा उसे लम्बी उम्र दे..
जवाब देंहटाएंमलाला को सलाम .... यही शक्ति है ब्लॉग की .... उसकी आवाज़ लोगों तक पहुंची । बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंशोले तो भड़केंगे ही..जब तक ख्वाब पूरे नहीं होते हैं।
जवाब देंहटाएंसशक्त और बेहद प्रभावी रचना ....!!
जवाब देंहटाएंमलाला के साहस को नमन ....एक वक्त आयेगा जब ख्वाब भी पूरे होंगे
जवाब देंहटाएंइतनी अद्भुत रचना के लिए आभार
अब तो बदल डालेंगे ,
जवाब देंहटाएंदोहरे पैमाने ये सारे !
पूरे हो कर रहेंगे ,
आँखों के ख़्वाब तुम्हारे !
*
मलाला के साथ आपको भी सलाम ।
मलाला की लम्बी उम्र के लिये मंगलकामनायें!
जवाब देंहटाएंविचार कणिकाओं में एक ललकार है दहशद गर्दी
जवाब देंहटाएंइन्तहा पसंदगी केखिलाफ़ .यकीन मानों तुम मलाला
केवल तुम नहीं पूरा एक महाद्वीप हो .इससे भी आगे भू
-मंडल हो .
जवाब देंहटाएंउगती जब नागफनी दिल में, मरुभूमि बबूल समूल सँभाला ।
बरसों बरसात नहीं पहुँची, धरती जलती अति दाहक ज्वाला ।
उठती जब गर्म हवा तल से, दस मंजिल हो भरमात कराला ।
पढ़ती तलिबान प्रशासन में, डरती लड़की नहीं वीर मलाला ।।
आज 14-10-12 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं.... आज की वार्ता में ... हमारे यहाँ सातवाँ कब आएगा ? इतना मजबूत सिलेण्डर लीक हुआ तो कैसे ? ..........ब्लॉग 4 वार्ता ... संगीता स्वरूप.
सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंमलाला के लिए दुआ है कि यह अडतालीस घंटों पर भी जीत दर्ज करे..
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना प्रतिभा जी...लेखन पर हमेशा से ही बहुत दायित्व हैं.इस बार माध्यम ब्लॉग लेखन है..मलाला ने फिर साबित कर दिया कलम की ताक़त को। ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है..और आजकल के ज़माने में बेहद रंगीन और सस्ती भी।ऐसे में कितने लोग होश-ओ-हवास में मौत से बल्कि खौफ़नाक मौत से बिना डरे मलाला की उम्र में मलाला की तरह सबके हक़ के लिए लड़ते हैं?? मलाला के लिए क्या कहूँ?..अच्छे से अच्छा जितना सोच सकती हूँ..सब सोच चुकी हूँ/सोचती हूँ उसके लिए.फिलहाल एक दुआ बस है..कि वो बच्ची सिर्फ कहानी न बन के रह जाए। मलाला से और मलाला पर लिखे गए/लिखे जाने वाले तमामतर आलेखों/रचनाओं/ख़बरों से उम्मीद रहेगी कि उसे पढ़ने/सुनने/जानने वाले हर इंसान के भीतर की मलाला को साँस आ सके..वो हर ज़मीर में फिर जिंदा होकर अपने वजूद का एहसास दिला सके।निदा फाज़ली कहते हैं ,''हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी जिसको भी देखना हो कई बार देखना''।आईने में खुद को भी देखेंगे तो ५-७ शख्स तो खोज ही लेंगे हम भी..उनमे से एक मलाला और एक तालिबान भी होगा ही और होंगे गांधी जी के तीन बन्दर भी।ये हम पर है हम किसे बेहतर समझ कर उसमे ज्यादा वक़्त के लिए ढल पाते हैं।
जवाब देंहटाएंमलाला के वालिद के लिए बहुत श्रद्धा बहुत सम्मान है दिल में....लिखते हुए भी ज़ुबां लड़खड़ा रही है ..रौंगटे खड़े हो रहे हैं....आँखें भी नम हो रहीं हैं..आज के बेरहम ज़माने में अपनी छोटी सी बिटिया के मन को अंगारों के पंख देने वाले पिता का दिल कितना मजबूत होगा!! ...इतनी हिम्मत,इतना हौसला,इतना जज़्बा परमेश्वर हर माता पिता और हर संतान को दें.... आमीन!!!
आभार स्वीकारें प्रतिभा जी...बहुत अच्छा लगा इस रचना को पढ़कर....!!
इस बहादुर कन्या को मेरा नमन
जवाब देंहटाएंमलाला को समर्पित सशक्त कविता।
जवाब देंहटाएंमलाला ,
जवाब देंहटाएंकोटि कंठों की ,
दबी आवाज़ें खोल दीं तुमने !
ज़मीर जाग उठा .
अब तो बदल डालेंगे ,
दोहरे पैमाने ये सारे !
पूरे हो कर रहेंगे ,
आँखों के ख़्वाब तुम्हारे !
....बहुत उत्कृष्ट और सशक्त अभिव्यक्ति...
हिंसा से घिरे क्षेत्र को मलाला ने एक नै दिशा दिखाई है, शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएं