*
उतर आए रुद्र ,दुर्गा शक्ति* जागी ,
सामने है आसुरी मति भी अभागी ,
चल रही अन्याय की बाज़ी निरंतर ,
रक्तबीजों ने झड़ी अपनी लगा दी !
*
किन्तु कब तक सैन्य माहिष यों डटेगी
झूठ ,छल परपंच,की माया बिछाये .
अस्मिता ओ राष्ट्र की ,टंकार लो धनु,
टेरती है चंडिका खप्पर उठाए !
*
काल-पट पर लौ उठाते शब्द लिक्खो ,
प्रखर छंद जगें, सुलगते हर्फ़ वाले ,
आज खुल कर सामने आ कर खड़े हो ,
फाड़ दो इतिहास के वे पृष्ठ काले !
उतर आए रुद्र ,दुर्गा शक्ति* जागी ,
सामने है आसुरी मति भी अभागी ,
चल रही अन्याय की बाज़ी निरंतर ,
रक्तबीजों ने झड़ी अपनी लगा दी !
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किन्तु कब तक सैन्य माहिष यों डटेगी
झूठ ,छल परपंच,की माया बिछाये .
अस्मिता ओ राष्ट्र की ,टंकार लो धनु,
टेरती है चंडिका खप्पर उठाए !
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काल-पट पर लौ उठाते शब्द लिक्खो ,
प्रखर छंद जगें, सुलगते हर्फ़ वाले ,
आज खुल कर सामने आ कर खड़े हो ,
फाड़ दो इतिहास के वे पृष्ठ काले !
*
साथ आयें कोटि-कोटि-सहस्त्र कर अब,
शस्त्र पूजो सुजन, अरे विषण्ण मत हो !
एक हो कर बने अपरंपार दुर्गा,
अमृत-बेला, विजय का प्रस्थान-पथ हो !
*
साथ आयें कोटि-कोटि-सहस्त्र कर अब,
शस्त्र पूजो सुजन, अरे विषण्ण मत हो !
एक हो कर बने अपरंपार दुर्गा,
अमृत-बेला, विजय का प्रस्थान-पथ हो !
*
प्रेरक !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सशक्त, पर वर्तमान में येन केन प्रकारेण महिषासुर हावी हो रहे हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
साथ आयें कोटि-कोटि-सहस्त्र कर अब,
हटाएंशस्त्र पूजो सुजन, अरे विषण्ण मत हो !
एक हो कर बने अपरंपार दुर्गा,
अमृत-बेला विजय का प्रस्थान-पथ हो !
*
प्रखर लेखनी के प्रेरक उदगार!
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना आज शनिवार (03-08-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना.. पढ़ते पढ़ते माँ दुर्गा की शक्तियां अंतर्मन को छूने लगी...अद्भुत !!
जवाब देंहटाएंवाह .... नारी शक्ति को सम्पर्पित आपकी ये पंक्तियाँ सदैव प्रासंगिक रहेंगीं ....
जवाब देंहटाएंमाता जी प्रणाम आपका शंखनाद मुखरित हुआ सचमुच सत्य उद्घाटित हो और सत्य की विजय हो
जवाब देंहटाएंआह्वान करती एक शानदार रचना ! सोये हुओं को जगाने की आपकी यह कोशिश सार्थक रहे, यही कामना !
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त सार्थक लेखनी .....दुर्गा माँ की शक्ति से भरी ....!!
जवाब देंहटाएंनमन आपकी लेखनी को .......!!
बहुत सशक्त और ओजस्वी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंविजय पथ की ओर प्रेरित करती सुंदर पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (04-08-2013) के चर्चा मंच 1327 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंप्रेरित करती सुन्द्र्र भाव..
जवाब देंहटाएंकाल पट पर लो उठाते शब्द लिक्खो ...
जवाब देंहटाएंप्रेरित करती हैं कर्म पथ पे अग्रसर होने को ... विजय के पथ पर प्रस्थान करने का आह्वान करती .. ओज़स्वी रचना ... बार बार पढ़ने को मन करता है .. आंदोलित होता है मन ...
इतिहास के काले पृष्ठों पर भी सफेदी पोतने की तैयारी हो रही है।
जवाब देंहटाएंआज के दानव दुर्गा शक्ति का भी मर्दन कर देते हैं .... जनता जब तक साथ नहीं देगी तब तक कैसे कोई बदलाव आएगा .... आपकी हर पंक्ति आह्वान कर रही है ....
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग को "ब्लॉग - चिठ्ठा" में शामिल कर लिया गया है। सादर …. आभार।।
जवाब देंहटाएंजन जन को मिल कर बनना है शक्तिशाली दुर्गा । तब अमृत बेला विजय का प्रस्थान पथ बनेगी ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सभी ……तीसरा वाला सबसे अच्छा |
जवाब देंहटाएंkamal ka likha hai aapne sabhi ek se badh kar ek
जवाब देंहटाएंbadhai
rachana
सार्थक रचना है आज के इस दौर में प्रासंगिक लगी !
जवाब देंहटाएंojaswi saarthak rachna...aabhar..
जवाब देंहटाएंइस महानाद के साथ-साथ महाप्रलय भी हमें ही लाना होगा. अति सुन्दर कृति..
जवाब देंहटाएंsundar rachna...
जवाब देंहटाएंEid Mubarak..... ईद मुबारक...عید مبارک....
बहुत ही प्रखर एवं ओजपूर्ण रचना ..
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