{शार्दुला की एक गज़ल - लिखती तो कभी-कभी हैं ,पर जब लिखती हैं गज़ब कर देती हैं.उर्दू और गज़ल मेरे बस के नहीं ,सो इसे अपने ब्लाग पर डाल कर ही तुष्ट हो लूँ.
- मैं तो हूँ ही , और लोग भी आनन्दित हों !}
प्यार के ख़त -
**
प्यार के ख़त किताब होने दो
रतजगों का हिसाब होने दो
*
इल्म की लौ ज़रा करो ऊँची
इस सियाही में आब होने दो
*
गैर ही की सही, ग़ज़ल गाओ
रात को ख़्वाब ख़्वाब होने दो
*
ज़िन्दगी ख़ार थी, बयाबाँ थी
दफ़्न सँग में गुलाब होने दो
*
जिस अबाबील का लुटा कुनबा *
अबके उस को उकाब होने दो
*
सूरमा तिफ़्ल से लड़े क्यों कर
लाज़मी इन्कलाब, होने दो !
शार्दुला ,
सिंगापुर २३ मई ११
सिंगापुर २३ मई ११
(* उकाब - ईगल ;
अबाबील - स्वालो पंछी.
अबाबील प्रजाति के कुछ ख़ास पक्षी अपनी लार से घोंसला बनाते हैं। इसके स्वास्थ्यलाभकारी गुणों के कारण चीन, दक्षिण-पूर्वी एशिया (सिंगापुर, हांकांग) और अमरीका में इसकी बहुत मांग है और यह घोंसाला लगभग लाख-दो लाख रुपये किलो बिकता है - अधिकतर इसे " बर्ड्स नेस्ट सूप " के लिए खरीदा जाता है । इससे अबाबील की प्रजाति को व्यापक दोहन का सामना करना पड़ता है। इससे उनके अस्तित्व को खतरा है। )
वाह .... खूबसूरत गज़ल पढ़वाने के लिए आभार ...
जवाब देंहटाएंमाता जी प्रणाम आपके प्रत्येक पोस्ट का इंतजार रहता है
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल आपको प्रकाशन के लिये और शार्दूला जी को लेखन के लिए मुबारकबाद
एक से बढ कर एक, तारीफ़ के लिये शब्द नही है. शार्दुला जी को बहुत बहुत शुभकामनाएं और आपका आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज (शुक्रवार, ७ जून, २०१३) के ब्लॉग बुलेटिन - घुंघरू पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंवाह ! सुभानअल्लाह ! वाकई हर शेर काबिले तारीफ है..बधाई आप दोनों को..
जवाब देंहटाएंवाह वाह क्या बात है बहुत ही खूबसूरत एवं प्रभावशाली रचना...
जवाब देंहटाएंक्या बात , क्या बात , क्या बात
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(8-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल.
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जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ग़ज़ल!
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उम्दा ...कमाल... वाह !
जवाब देंहटाएंbahut sundar..badhai.
जवाब देंहटाएंप्रिय अक्षिता,
जवाब देंहटाएंतुम्हारे शब्द पढ़ कर बहुत खुशी हुई.थोड़ा आश्चर्य हुआ कि तुम गज़ल भी पढ़ती हो ,और अच्छा भी लगा.
मैं तुम्हारी खोज-खबर लेती रहती हूँ.इन दिनो छुट्टियों का आनन्द ले रही होगी
हमारा स्नेह लेना.
आदरणीया और प्रिय प्रतिभा जी,
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग पे आप मेरे लेखन को जिस आत्मीयता से स्थान दे देतीं हैं उसके लायक तो नहीं हूँ, पर उसमें झलकते आपके स्नेह को शीश और हृदय में धारण करती हूँ!
आपके सभी पढने वालों के प्रति शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने ग़ज़ल पढ़ी और पसंद की।
आप सब का अतिशय धन्यवाद!
सादर शार्दुला
आदरणीया और प्रिय प्रतिभा जी,
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग पे आप मेरे लेखन को जिस आत्मीयता से स्थान दे देतीं हैं उसके लायक तो नहीं हूँ, पर उसमें झलकते आपके स्नेह को शीश और हृदय में धारण करती हूँ!
आपके सभी पढने वालों के प्रति शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने ग़ज़ल पढ़ी और पसंद की।
आप सब का अतिशय धन्यवाद!
सादर शार्दुला
लाज़वाब ग़ज़ल...हरेक शेर दिल को छू गया...
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंprem ke moti ..sundar rachna ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत गज़ल है ... शार्दुला जी की ग़ज़लें पढता रहता हू विभिन्न मंचों पे और सच में उनकी लेखनी का जवाब नहीं ...
जवाब देंहटाएंआदरणीया प्रतिभा जी ,,,,प्यारी गजल ..अच्छा हुआ कुछ शब्द आप ने समझाए ...आनंद आया
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
qaamyaab ghazal :) sang me gulaab dafn hone do..ye sher mujhe bahut bahut bahut pasand aaya.....aur akhiri wala bhi...:)
जवाब देंहटाएंshardula ji ..dher saari mubaaraqbaad ghazal ke liye..mere ander bhi urdu ka keeda kulbulaane laga aapki ghazal padhke :D
dher sa aabhaar pratibha jee ko..aapki ghazal se taarruff karwaane ke liye :)
Taru, thanks a lot!
जवाब देंहटाएंbehtreen ghazl.
जवाब देंहटाएंshardula ji ke blog ka link mile to abhaari hounga.
यही तो मुश्किल है ,शार्दुला जी ब्लाग नहीं लिखतीं.मैं आपकी बात उन तक पहुँचाये दे रही हूँ.
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