*
जय हो गनेश ,प्रथम तुमका मनाय लेई ,
कारज के सारे ही विघ्न टल जायेंगे !
नाहीं तो देवन के दफ़्तर में गुजर नहीं,
तुमका मनाय सारे काज सर जायेंगे !
*
सारे पत्र-बंधन के तुम ही भँडारी हो ,
हमरे निवेदन को पत्र तुम करो सही,
हमसों पुजापा लेइ आगे बढ़ाय देओ !
बाबू हैं गनेस, तिन्हें पूज लेओ पहले ई !
*
दस चढ़ाय देओ, ई हजार बनवाय दिंगे
कलम की मार बड़े-बड़े नाचि जायँगे ,
उदर बिसाल सब चढ़ावा समाय लिंगे
इनकी किरपा से सारे संकट कटि जाहिंगे !
*
कहूँ जाओ द्वारे पे बैठे मिलि जावत हैं ,
देखत रहत कौन, काहे इहाँ आयो है !
कायदा कनून तो जीभै पे धर्यो है पूरो!
नाक बड़ी लंबी, सूँघ लेत सब उपायो हैं
*
चाहे लिखवार ,तबै लिखन बैठ जाइत हैं
क्लर्की निभात बड़े बाबू पद पायो है.
वाह रे गनेस, तोरी महिमा अपार
आज तक किसउ से जौन बुद्धि में न हार्यो है!
*
विधना के दफ़्तर के इहै बड़े बाबू हैं
पूजै प्रथम बिना तो काजै न होयगो,
सारी ही लिखा-पढ़ी इनही के हाथ,
जौन उनते बिगार करे जार-जार रोयगो !
*
हाथन में लडुआ धरो , पत्र-पुस्प अर्पन करो ,
सुख से निचिंत ह्वैके जियो जिय खोल के
पहुँचवारे पूत, रुद्र और चण्डिका के है जे,
इनके गुन गान करो, सदा जय बोल के !
कारज के सारे ही विघ्न टल जायेंगे !
नाहीं तो देवन के दफ़्तर में गुजर नहीं,
तुमका मनाय सारे काज सर जायेंगे !
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सारे पत्र-बंधन के तुम ही भँडारी हो ,
हमरे निवेदन को पत्र तुम करो सही,
हमसों पुजापा लेइ आगे बढ़ाय देओ !
बाबू हैं गनेस, तिन्हें पूज लेओ पहले ई !
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दस चढ़ाय देओ, ई हजार बनवाय दिंगे
कलम की मार बड़े-बड़े नाचि जायँगे ,
उदर बिसाल सब चढ़ावा समाय लिंगे
इनकी किरपा से सारे संकट कटि जाहिंगे !
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कहूँ जाओ द्वारे पे बैठे मिलि जावत हैं ,
देखत रहत कौन, काहे इहाँ आयो है !
कायदा कनून तो जीभै पे धर्यो है पूरो!
नाक बड़ी लंबी, सूँघ लेत सब उपायो हैं
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चाहे लिखवार ,तबै लिखन बैठ जाइत हैं
क्लर्की निभात बड़े बाबू पद पायो है.
वाह रे गनेस, तोरी महिमा अपार
आज तक किसउ से जौन बुद्धि में न हार्यो है!
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विधना के दफ़्तर के इहै बड़े बाबू हैं
पूजै प्रथम बिना तो काजै न होयगो,
सारी ही लिखा-पढ़ी इनही के हाथ,
जौन उनते बिगार करे जार-जार रोयगो !
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हाथन में लडुआ धरो , पत्र-पुस्प अर्पन करो ,
सुख से निचिंत ह्वैके जियो जिय खोल के
पहुँचवारे पूत, रुद्र और चण्डिका के है जे,
इनके गुन गान करो, सदा जय बोल के !
(पूर्व रचित)
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प्रासंगिक, सार्थक और आत्मीय.
जवाब देंहटाएंविघ्नहर्ता ,गणनायक का सुन्दर गुणगान ...!!
जवाब देंहटाएंभाषा मन मोह रही है ..!!
मीठी ....बहुत सुन्दर अर्चना ...!!आभार ..!!
बेहद सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजय हो गणपति बाप्पा की ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर काव्य रचा है आपने ... गणपति अर्चना ...
चाहे लिखवार ,तबै लिखन बैठ जाइत हैं
जवाब देंहटाएंक्लर्की निभात बड़े बाबू पद पायो है.
वाह रे गनेस, तोरी महिमा अपार
आज तक किसउ से जौन बुद्धि में न हार्यो है!
जय जय जय गंपपति जग बंदन सदैव की भांति अद्भुत रचना माता जी प्रणाम स्वीकार करें
अहा, पढ़कर सारे मन के सारे विघ्न चले गये हों मानो।
जवाब देंहटाएंna ji ham to inse bilkul bigaar nahi karenge aur jay jay bol inka gun-gaan karenge.
जवाब देंहटाएंविघ्नहर्ता ,गणेश जी का सुन्दर गुणगान ...!!
जवाब देंहटाएंगनपति बाबा की जय। मेरे नए पोस्ट समय सरगम पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंमन फिर प्रसन्न हुआ! :)
जवाब देंहटाएंयह नए दौर की स्तुति तो बहुत अदभुत रची प्रतिभा जी. पढकर मजा आ गया.
जवाब देंहटाएंइस नचारी को गुन कर मन को अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंयह वंदना कैसे छूट गयी .... गणपति की हर जगह ज़रूरत है .... आज के हिसाब से सुंदर वंदना ।
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 27-09 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....मिला हर बार तू हो कर किसी का .
वाह ...भाषा गज़ब का सम्मोहन छोड़ रही है.
जवाब देंहटाएंवाह! प्रतिभा जी.
जवाब देंहटाएंकमाल का तीखा व्यंग्य प्रस्तुत
करती गणेश स्तुति है.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
आपकी भाषा और शैली आकर्षित करती है.
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