मंगलवार, 6 मार्च 2012

होली पर - कुछ लोक-रंग


ससुरारै में निंदिया सताये रे ,
जी भर के कबहुँ ना सोय पाय रे
मोरी अक्कल चरै का चलि जात हौ,
ससुरारै में बावरी सी हुइ गई !
*
सैंया बोले गैया को चारा डालना ,
मैं भइया सुन्यो निंदिया की झोंक में ,
छोटे देउर को नाँद में बिठा दियो ,
और आय के बिछावन पे सोय गई !
*
बहू बछिया गुवाले को सौंप दे ,
मैं बिटिया सुन्यो निंदिया की झोंक में ,
सो ननदिया को पहिरा-उढ़ाय के ,
आपने कंठ से लगाय मिल-भेंट ली ,
और जाय के गुवाले को दे दिहिन !
फिर आय के बिछावन पे सोय गई !
*
मेरी दवा की पुड़िया बहू लाय दे,
हवा-गुड़िया सुन्यो नींद के खुमार में !
लाई रबड़ की बबुइया ढूँढ खोज के ,
आगे बढ़ के ससुर जी पे उछाल दी,
और आय के बिछावन पे सोय गई !
*
पहने कपड़े बरैठिन के दै दियो ,
कह दीजो हिसाब पूरो हुइ गयो!
गहने कपड़े सुन्यो मैं आधी नींद में ,
उनके बक्से से जेवर निकाल लै,
और जोड़े धराऊ में लपेट के
धुबिनिया को पुटलिया पकड़ाय दी
और लेट के बिछावन पे सोय गई !
*
हँडिया दूध की अँगीठी पे चढ़ाय दे ,
थोड़ो ईंधन दै के आँच भी बढ़ाय दे ,
चार मुट्ठी भर झोंक दियो कोयला ,
हाँडी गोरस की धरी वापे ढाँक के
और आ के बिछावन पे सोय गई !
*
जाने कैसे मैं लेटी, औंघाय गई ,
दूध उबल-उबल सारा जराय गा ,
मार  हाँडी का रंग करियाय गा !
मैंने टंकी में चुपके डुबाय दी ,
और जाके बिछावन पे सोय गई !
*
मारे नींद के कुछू न समझ आय रे ,
ससुरारै में बावली सी होय रई !
*
- प्रतिभा सक्सेना.
*



28 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया गीत .... होली की शुभकामना और बधाई ...

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  2. कबाड़ा कर दिया नींद के मारे ....... :-))
    रंगोत्सव पर आपको सपरिवार बधाई !

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  3. geet bahut badhiya laga. brij ki holi dekhne ka bahut man hota hai aur har bar rah jate hain...
    Ye geet padh chalchitr se ban gaye.

    aabhar.

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  4. बहुत ही बढ़िया .... इन्द्रधनुष से लेकर सात रंग
    घोला है इसमें मैंने आठवां रंग - स्नेह का , दुआओं का , आशीषों का
    हैप्पी होली

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  5. आपने तो रंग जमा दिया।
    शुभकामनाएँ होली की...!!

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  6. :):) अभी तक हंसी नहीं रुक रही .... देवर को नन्द जो बैठा दिया है ...... पूरे गीत में होली का नशा चढ़ा हुआ है ....

    होली की शुभकामनायें

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  7. मजेदार ...लोकरंग की भीनी महक

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  8. अपनी नींद के चक्कर में ससुराल वालों की नींद उड़ाना ठीक नहीं!

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  9. हँडिया दूध की अँगीठी पे चढ़ाय दे ,
    थोड़ो ईंधन दै के आँच भी बढ़ाय दे ,
    चार मुट्ठी भर झोंक दियो कोयला ,
    हाँडी गोरस की धरी वापे ढाँक के
    और आ के बिछावन पे सोय गई !
    मन बस गांव में पहुंच गया है। इतना सुंदर वर्णन है कि सारा दृश्य (गांव-घर का) आंखों के सामने साकार हो गया।
    हैप्पी होली!

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    ♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
    ♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥



    आपको सपरिवार
    होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
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  11. बहुत सुंदर गीत ....
    होली की शुभकामनायें ....

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  12. बहुत ही बढ़िया
    आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

    सादर

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  13. हँडिया दूध की अँगीठी पे चढ़ाय दे ,
    थोड़ो ईंधन दै के आँच भी बढ़ाय दे ,
    चार मुट्ठी भर झोंक दियो कोयला ,
    हाँडी गोरस की धरी वापे ढाँक के
    और आ के बिछावन पे सोय गई !
    :-)

    बहुत बढ़िया.......

    होली हुडदंगी हो.....

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  14. are waah
    maja aa gaya..
    alag style ki rachana..
    bahut sundar or jabardast hai...
    holi ki dher sari shubh kamnaye

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  15. दुर्लभ गीत पढ़ने का अवसर प्रदान करने के लिए आभार।
    होली की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  16. रंगों भरी होली की हार्दिक शुभकामनाएं..

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  17. दूधों फले, पूतों नहाए बहुरिया.

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  18. इतना प्यारा लोकगीत पढवाया आपने मज़ा आ गया । आशा है आपकी होली भी रंगीन रही होगी ।

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  19. इस सुन्दर गीत में जीवन के न जाने कितने रंग छुपे हैं !
    आभार !

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  20. फागुन में बोल अमोल पढि, मन मगन भयो आपणो।
    ...शुभ होली।

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  21. राम रे राम !

    आपने तो गजब ही ढहा दिया है जी.

    होली की शुभकामनाएँ.

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