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कल्याणमयी माँ ,भारति हे ,शुभ श्रेय-प्राप्ति वर दो!
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उज्ज्वल तन, धवल ज्ञान-दीपित,दिव्यता-बोधमय दृष्टि प्रखर;
हे सकल कला-विद्या धारिणि, तुमसे ही दिशा-दिशा भास्वर.
हो ताप-क्लेश-दुख शमित, राग-रस से सिंचित कर दो!
शुभ श्रेय-प्राप्ति वर दो!
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ज्योतित स्वरूप उजियारा भर, कर दे विलीन तम का कण-कण;
शतदल मकरन्द अमन्द धरे, धरती-नभ हो आनन्द मयम् .
वाणी,विशुद्ध संधानमयी, वे अमल-सरल स्वर दो !
शुभ श्रेय-प्राप्ति वर दो!
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अवतरो देवि ,जग-जीवन में, कण-कण मुखरित हों गान रुचिर ;
अग-जग झंकृत हो पुण्य-राग, प्राणों में जागे ज्योति प्रखर .
जागें संस्कार सुभग,गति-मति निर्मला, कलुष-हर हो !
शुभ श्रेय-प्राप्ति वर दो!
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अभिमंत्रित ऋचाओं की प्रखर ज्योति। शुभ वर फलित हो।
जवाब देंहटाएंवाह। नमन।
जवाब देंहटाएंनिरोगी तन, क्लेश मुक्त मन, निर्मल बुद्धि, विशुद्ध वाणी और सारे धरती-आकाश के लिए आनंद की कामना, माँ सरस्वती से कितनी सुंदर प्रार्थना की है आपने!
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर आंटी जी। बचपन की सरस्वती शिशु मंदिर की प्रार्थना याद आ गई - या कुन्देन्दु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रा वृता...
जवाब देंहटाएंअतुल श्रीवास्तव
अहा ... देर से आना हुआ ..... लेकिन वरदान तो मिलेगा न ? ..... बहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रार्थना !
जवाब देंहटाएंलेकिन अब समय आ गया है कि प्रार्थना-याचना-अरदास से ऊपर उठ कर हम स्वयं अपने भाग्य का निर्माण करें !
बहुत ही सार्थक सुंदर निवेदन ।
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ।
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंHi, their colleagues, nice paragraph and nice arguments commented here, I am really enjoying by these.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
जवाब देंहटाएंgreetings from malaysia
let's be friend