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- प्रतिभा.
नया संवत्सर खड़ा है द्वार-देहरी ,
एक शुभ संकल्प की आशा लगाये .
अर्थ का विस्तार कर सर्वार्थ कर दो
आत्म का घेरा बढ़ा परमार्थ कर दो,
बूंद-बूंद भरे, कृतार्थ समष्टि -सागर
त्रिक् वचन-मन-कर्मयुत संकल्प धर दो !
आत्म का घेरा बढ़ा परमार्थ कर दो,
बूंद-बूंद भरे, कृतार्थ समष्टि -सागर
त्रिक् वचन-मन-कर्मयुत संकल्प धर दो !
दिग्भ्रमित मति ,
नये मंगल-आचरण का भाष्य पाये !
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नये मंगल-आचरण का भाष्य पाये !
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (01-01-2018) को "नया साल नयी आशा" (चर्चा अंक-2835) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
नववर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
बहुत अच्छा अभियोजन!!
हटाएंआपको सपरिवार मंगलमय हो नया साल।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट व सराहनीय प्रस्तुति.........
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ सहित नई पोस्ट पर आपका इंतजार .....
दिग्भ्रमित मति ,
जवाब देंहटाएंनये मंगल-आचरण का भाष्य पाये ।
अनुपम भाव
नववर्ष की अनंत मंगलकामनाएं ... सादर
सुंदर शब्दों से अगत का स्वागत ...
जवाब देंहटाएंआपको नाव वर्ष मंगलमय हो ...
सुन्दर आयोजन
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