घास हँसती है .
*
ओस की बूँदें बिछा राँगोलियाँ पूरीं ,हरित पट पर लिख दिये नव-रूप के अंकन
महकता चंदन लगा पुलकित पराग धरे, पूर चुटकी से कहीं हल्दी कहीं कुंकुंम
सूर्यमुखियों के बहुत लघु संस्करण हुए , छत्र साजे पीतवर्णी पाँखुरी मंडल
खिल उठे अनयास इस एकान्त की लय में ,प्रार्थना करते हुए -से वन्य ये शतदल
*
धरा का आँचल धुला-सा नम हुआ रहता, बाँसुरी-सी भोर की सरगम खनक जाती
टार्च चमका पूर्व से आ झाँकता सूरज वनस्पतियाँ कुनमुना कर पलक झपकातीं
यह लुनाई ,सुघरताई यह प्रणत मुद्रा लिख गई मृदु भावना के व्यक्त पुष्पाक्षर
चित्रकारी कर सजाया रेशमी रंग ले , वाग्देवी के पधारें चरण इस तल पर .
*
धवल वसना दिव्यता का अवतरण क्षिति पर, किरण-किरण पराग स्वर्णिम ,शुभ्र कमलासन
घास का सौभाग्य,हर तृण पुलक से पूरित , हंस और मयूर उतरेंगे इसी आँगन .
रंगशाला खोल मधु-ऋतु कर रही सज्जा ,तिलक केशर का लगा कर निरखती अपलक
फूल पग-पग पर बिछाये पाँवड़े रच कर ,पाग बाँधे द्वार पर तैय्यार टेसू तक.
*दूर तक फैली हुई कोमल गलीचे सी , दूब अपनी धन्यता का भास करती है ,
घास हँसती है !
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ओस की बूँदें बिछा राँगोलियाँ पूरीं ,हरित पट पर लिख दिये नव-रूप के अंकन
महकता चंदन लगा पुलकित पराग धरे, पूर चुटकी से कहीं हल्दी कहीं कुंकुंम
सूर्यमुखियों के बहुत लघु संस्करण हुए , छत्र साजे पीतवर्णी पाँखुरी मंडल
खिल उठे अनयास इस एकान्त की लय में ,प्रार्थना करते हुए -से वन्य ये शतदल
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धरा का आँचल धुला-सा नम हुआ रहता, बाँसुरी-सी भोर की सरगम खनक जाती
टार्च चमका पूर्व से आ झाँकता सूरज वनस्पतियाँ कुनमुना कर पलक झपकातीं
यह लुनाई ,सुघरताई यह प्रणत मुद्रा लिख गई मृदु भावना के व्यक्त पुष्पाक्षर
चित्रकारी कर सजाया रेशमी रंग ले , वाग्देवी के पधारें चरण इस तल पर .
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धवल वसना दिव्यता का अवतरण क्षिति पर, किरण-किरण पराग स्वर्णिम ,शुभ्र कमलासन
घास का सौभाग्य,हर तृण पुलक से पूरित , हंस और मयूर उतरेंगे इसी आँगन .
रंगशाला खोल मधु-ऋतु कर रही सज्जा ,तिलक केशर का लगा कर निरखती अपलक
फूल पग-पग पर बिछाये पाँवड़े रच कर ,पाग बाँधे द्वार पर तैय्यार टेसू तक.
*दूर तक फैली हुई कोमल गलीचे सी , दूब अपनी धन्यता का भास करती है ,
घास हँसती है !
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ऋतुओं के राजा वसंत का आगमन और वाग्देवी का पदार्पण ! सुंदर मनोहारी चित्रण !
जवाब देंहटाएंवाह ।
जवाब देंहटाएंबसंत का आह्वान जब जब होता है ... दिशा महकती है ...
जवाब देंहटाएंबहुत हीअनुपम दृश्यांकन ऋतुराज का ... बहुत शुभकामनाएँ ...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Nice article with awesome explanation ..... Thanks for sharing this!! :) :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शब्दचित्र मम्मी!! इसे कबित्त कह सकते हैं क्या?? इसी शैली में मैंने भी होली पर कुछ लिखा था! पोस्ट करूँगा! अभी तो मुग्ध हूँ, बस!!
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