*
नहीं,
मैं नहीं एकान्त निर्मात्री,
इस सद्य-प्रस्फुट जीवन की,
रचना मेरी, आधान तुम्हारा
सँजो कर गढ़ दिया मैंने नया रूप .
प्रेय था!
नयनों में वात्सल्य बन,
जैसे चाँदनी में नहाई बिरछ की डाल,
स्निग्ध कान्ति से दीप्त तुम्हारा मुख!
मुग्ध हो गई मैं .
'जहाँ मैं अगुन-अरूप-अव्यक्त रहा,
तुमने ग्रहण किया.
प्रतिष्ठित कर दिया मुझे!
अपने से पार
पुनर्जीवन पा गया मैं,
तुम्हारे रचे प्रतिरूप में! '
मुदित परितृप्ति का प्रसाद,
मिल गया मुझे,
और देहानुभूतियों से परे,
मन की विदेह-व्याप्ति!
*
- प्रतिभा.
नहीं,
मैं नहीं एकान्त निर्मात्री,
इस सद्य-प्रस्फुट जीवन की,
रचना मेरी, आधान तुम्हारा
सँजो कर गढ़ दिया मैंने नया रूप .
प्रेय था!
नयनों में वात्सल्य बन,
जैसे चाँदनी में नहाई बिरछ की डाल,
स्निग्ध कान्ति से दीप्त तुम्हारा मुख!
मुग्ध हो गई मैं .
'जहाँ मैं अगुन-अरूप-अव्यक्त रहा,
तुमने ग्रहण किया.
प्रतिष्ठित कर दिया मुझे!
अपने से पार
पुनर्जीवन पा गया मैं,
तुम्हारे रचे प्रतिरूप में! '
मुदित परितृप्ति का प्रसाद,
मिल गया मुझे,
और देहानुभूतियों से परे,
मन की विदेह-व्याप्ति!
*
- प्रतिभा.
भावपूर्ण!!
जवाब देंहटाएंशायद पिता का किरदार ही ऐसा होता है ... उन्नत पौरुष बच्चों के लिए तो स्निग्ध वात्सल्य से झुक जाता है ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंसच है कि मेरे 'मुझमे' माँ के बाद पिता जी का ही सबसे बड़ा योगदान है!
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 21/06/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
पाँच लिंकों में मेरी रचना चुनने हेतु, आभार कुलदीप जी !
जवाब देंहटाएंआह ....ह्रदय स्पर्शी एवं भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंमर्म को स्पर्श करती भावमयी कविता ।
जवाब देंहटाएंhriday ko chhoo lene vali bahut hi bhavpurn prastuti
जवाब देंहटाएंhriday ko chhoo lene vali bahut hi bhavpurn prastuti
जवाब देंहटाएंसन्तान के सृजन में पति-पत्नी / माता-पिता द्वारा परस्पर कृतज्ञता की सौहार्दपूर्ण अनुभूति और उसकी अभिव्यक्ति में वस्तुत: उनकी उदात्त भावना एवं निश्छल प्रेम प्रदर्शित हो रहा है । यहाँ दोनों ही अहं से दूर हैं । प्रतिभा जी ने इस प्रसंग में दोनों के समान सहयोग का चित्रण बड़ी ही सरसता और प्रभावी शैली में किया है , जो सुखद एवं विलक्षण है ।
जवाब देंहटाएंपरितृप्त हुई ।
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