*
मइया पधारी मोरे अँगना,
मलिनिया फुलवा लै आवा,
*
ऊँचे पहारन से उतरी हैं मैया,
छायो उजास जइस चढ़त जुन्हैया.
रचि-रचि के आँवा पकाये ,
कुम्हरिया ,दीपक के आवा.
*
सुन के पुकार मइया जाँचन को आई ,
खड़ी दुआरे ,खोल कुंडी रे माई !
वो तो आय हिरदै में झाँके ,
घरनिया प्रीत लै के आवा ,
*
दीपक कुम्हरिया ,फुलवा मलिनिया ,
चुनरी जुलाहिन की,भोजन किसनिया.
मैं तो पर घर आई -
दुल्हनियाँ के मन पछतावा.
*
उज्जर हिया में समाय रही जोती .
रेती की करकन से ,निपजे रे मोती.
काहे का सोच बावरिया,
मगन मन-सीप लै के आवा !
हिया जगमग हुआ जावा !
*
मइया पधारी मोरे अँगना,
मलिनिया फुलवा लै आवा,
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ऊँचे पहारन से उतरी हैं मैया,
छायो उजास जइस चढ़त जुन्हैया.
रचि-रचि के आँवा पकाये ,
कुम्हरिया ,दीपक के आवा.
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सुन के पुकार मइया जाँचन को आई ,
खड़ी दुआरे ,खोल कुंडी रे माई !
वो तो आय हिरदै में झाँके ,
घरनिया प्रीत लै के आवा ,
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दीपक कुम्हरिया ,फुलवा मलिनिया ,
चुनरी जुलाहिन की,भोजन किसनिया.
मैं तो पर घर आई -
दुल्हनियाँ के मन पछतावा.
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उज्जर हिया में समाय रही जोती .
रेती की करकन से ,निपजे रे मोती.
काहे का सोच बावरिया,
मगन मन-सीप लै के आवा !
हिया जगमग हुआ जावा !
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सुंदर ! नवरात्रि सभी को शुभ हो शुभकामनाऐं ।
जवाब देंहटाएंमाँ को नमन..हृदय में ज्योति बन समाती सुंदर रचना..शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15 - 10 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2130 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत सुन्दर देवी गीत!
जवाब देंहटाएंनवरात्र की हार्दिक मंगलकामनाएं!
बहुत सुन्दर स्तुति .... बहुत बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर। दुर्गा पूजा और दशहरे की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंदेवी-वंदन के इस लोकरंग की शुचिता हृदय को स्पंदित करती है ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर प्रस्तुति। मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंशब्द शब्द जैसे ज्योति बन के चहक रहा है ... सीधे मन में प्रकाश के आगमन जैसे भाव ... अति सुन्दर ...
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