शनिवार, 16 अगस्त 2014

बाउल गीत -


*
तेरे रंग डूबी, मैं तो मैं ना रही !
*
एक तेरा नाम ,और सारे नाम झूठे,
ना रही परवाह ,जग रूठे तो रूठे
सुख ना चाहूँ तो से ,ना रे, ना रे ना, नहीं !
*
एक तु ही जाने और जाने न कोई,
जाने कौन ?अँखियाँ जो छिप-छिप रोईं.
एक तू ही को तो , मन और का चही !
*
बीते जुग, सूरत भुलाय गई रे ,
तेरी अनुहार मैं ही पाय गई रे .
पल-छिन मैं तेरे ही ध्यान में बही !
*
एक खुशी पाई तोसे पिरीतिया गहन ,
तू ना मिला, मिटी कहाँ जी की जरन ,
तेरे बिन जनम, बिन अगन मैं दही !
*
कि मैं झूठी, कि  वचन विरथा -
जा पे सनेह सच, मिले - सही क्या ?
 रीत नहीं जानूँ, बस जानूँ जो कही !
*
(पूर्व रचित )

16 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर प्रस्तुति...
    दिनांक 18/08/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
    हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
    हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
    सादर...
    कुलदीप ठाकुर

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  2. बहुत सुन्दर बाउल गीत ..
    नयी विधाओं में रचनाओं का पढ़ना बहुत अच्छा लगता है जानकारी सब तक पहुँचती है...
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!

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  3. बहुत सुन्दर रचना बिलकुल नये संदर्भों से रची हुई
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर ---

    आग्रह है --
    आजादी ------ ???

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  4. परमात्म प्रेम में रंगकर उसी के गीत गाना जिनकी पूजा है, नृत्य ही जिनका धर्म है उन बाउल का यह एक नया प्रयोग मुझे इस आपके गीत में देखने को मिला बाउल ऐसे ही दिल की गहराईसे गाते है, बहुत सुन्दर भावपूर्ण गीत है, आभार !


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  5. बहुत बढ़िया
    जन्माष्टमी की शुभकामनायें

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  6. मनमोहक गीत.... हार्दिक शुभकामनाएं

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  7. बाउल संगीत की बात ही अलग है.हिंदी फिल्मों में एस. डी. बर्मन एवं अन्य संगीतकारों ने बखूबी इसका प्रयोग किया है.

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  8. बहुत ही मनभावन और भावपूर्ण बाउल गीत...

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  9. बहुत सुन्दर रचना सुन्दर भावो से ओत प्रोत ।

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  10. बाउल गीत-संगीत सुनना बहुत आनंद देता है. बहुत सुन्दर लिखा है, बधाई.

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  11. उत्कृष्ट ... पत्मात्मा के सामने सब कुछ गौण हैतो बस तू ही तू ...

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