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हे,मातृ रूप हे विश्व-प्राण की नियामिका,
तव परम-भाव इस भूतल, पर आ छाया बन करुणा-ममता.
केवल अनुभव-गम्या, रम्या धारणा-जगतके आरपार
तुम मूल सृष्टि, बन तृप्ति-पुष्टि, सरसातीं जग में अमिय-धार
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इस अखिल सृष्टि के नारि-भाव उस महाभाव के अंश रूप
उस परम रूप की छलक, व्यक्त नारी-मन में जो रम्य रूप,
भगिनी का नेह अपार, सहोदर बंधु सदा पाता जैसे .
पुत्री का मृदु वात्सल्य, पिता के हेतु उमड़ आता जैसे
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गृहिणी का हृदय थके पंथी के हेतु सदय हो अनायास ,
भूखे बालक को करुणाकुल,हो वितरित करता तृप्ति-ग्रास.
जो स्वयं काल से लड़ जाती ,भार्या बन सत्यवान के हित
अगणित परिभाषाहीन भाव नारी-अंतर में चिर संचित.
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श्री-मयी, ज्योति सौन्दर्य सुखों रागों -भोगों से जग सँवार ,
हो बिंब और-प्रतिबिंब असंख्यक रूप- भाव ऊर्जा अपार,
अपनी ही द्युति से दीप्तिमयी, तुमसे ही जीवन बना धन्य.
सब रूपों में तुम ही अनन्य, तुम धन्य चिन्मयी, तुम प्रणम्य !
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- प्रतिभा.
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अद्भुत प्रस्तुति...आभार
जवाब देंहटाएंसच में नमन करने योग्य..... उत्कृष्ट पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंma ko naman ...
जवाब देंहटाएंमाँ को नमन और आपकी पंक्तियाँ उत्कृष्ट..
जवाब देंहटाएंमाता जी प्रणाम नेट की व्यवस्था में कमी बेसी के कारन पढ़ना हो गया तो सूचना या अभिवादन का आदान प्रदान प्रभावित हो जाता है तब सब कुछ अटपटा सा होकर बिखर जाता है अभी विगत दो माह से ऐसा ही है रचना उत्कृष्ट है आपको पढ़ना बहुत अच्छा लगता है .....मात्री दिवस की बिसरी याद के लिए क्षमा *****
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स सुन्दर हैं ,आपका आभार अरुण जी !
जवाब देंहटाएंसुन्दर काव्य सृजन उस ईश रूप के लिए.
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन के माँ दिवस विशेषांक माँ संवेदना है - वन्दे-मातरम् - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंनमन नमन नमन .
जवाब देंहटाएंअध्बुध ... इतना विस्तार दिया है इस मनमोहक ममतामय रचना को ... जननी के इस काव्य सृजन की बधाई ..
जवाब देंहटाएंबहुत भावनात्मक संबंध है माँ का, उतनी ही गहराई से प्रस्तुत।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सामयिक प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआपको भी मातृ दिवस की शुभकामनायें ..
नमन,अच्छी रचना बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंतृप्त करता अमिय -धार ...
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी को सदर नमन ...
जवाब देंहटाएंमां तुम्हारा उदाहरण जब भी दिया
देव मुस्कराये पवन शांत भाव से बहने लगी
नदिया की कलकल का स्वर मधुर लगने लगा
हर शय छोटी प्रतीत होती है उस वक्त
जब भी बाँहें फैलाकर जरा-सा तुम मुस्करा देती हो
सोचती हूँ जब भी कई बार
तुम्हारा प्यार और तुम्हारे बारे में
माँ जीवन का आधार है,सृजन है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावों के साथ रची गयी है
आपकी रचना
सादर
नारी हर रूप में प्रणाम योग्य है .... आपकी सुंदर रचना भाव विभोर करती है ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंममतामयी माँ के श्रद्धास्पद रूप को समर्पित सुललित भावाञ्जलि ने
जवाब देंहटाएंमन्त्रमुग्ध कर दिया। अनेकानेक साधुवाद !!