*
वाह रे ,चाँद !
तुम्हें भी चैन नहीं पड़ता !
इतना पानी बरसा
आसमान तो क्या साफ़ होता
सारे में किच-किच और हो गई .
काले-काले,दल-दल बादल जहाँ-तहाँ .
*
तुम भी चाँद ,बाज़ नहीं आते
खेल रहे दौड़-दौड़ छिपा-छिपी !
बात ,सुनते ही नहीं
फिसल रहे बार-बार .
उफ़, वहीं लोट गए ,
दल-दल -बादल में डूबी -सी देह .
*
चलो उठो, उठो ,
साबुन लगा कर नहला दूँ .
चलो साथ ,
धुले पुछे, फिर से चमक जाओगे !
*
कोई मत आना .
सारे कपड़े उतार
नहा रहा है मेरा चंदा .
हँसते फेन-बुलबुलों वाली
हर-हर गंगा !
*
आसमान में बादल दल-दल,
मेरा धुला-पुँछा चंदा चमक गया रे !
कोई नज़र न लगा दे
ये लो, काजल का टीका .
वाह,
लो,अब देखो सब लोग.
है कोई मेरे चंदा सरीखा ?
*
वाह रे ,चाँद !
तुम्हें भी चैन नहीं पड़ता !
इतना पानी बरसा
आसमान तो क्या साफ़ होता
सारे में किच-किच और हो गई .
काले-काले,दल-दल बादल जहाँ-तहाँ .
*
तुम भी चाँद ,बाज़ नहीं आते
खेल रहे दौड़-दौड़ छिपा-छिपी !
बात ,सुनते ही नहीं
फिसल रहे बार-बार .
उफ़, वहीं लोट गए ,
दल-दल -बादल में डूबी -सी देह .
*
चलो उठो, उठो ,
साबुन लगा कर नहला दूँ .
चलो साथ ,
धुले पुछे, फिर से चमक जाओगे !
*
कोई मत आना .
सारे कपड़े उतार
नहा रहा है मेरा चंदा .
हँसते फेन-बुलबुलों वाली
हर-हर गंगा !
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आसमान में बादल दल-दल,
मेरा धुला-पुँछा चंदा चमक गया रे !
कोई नज़र न लगा दे
ये लो, काजल का टीका .
वाह,
लो,अब देखो सब लोग.
है कोई मेरे चंदा सरीखा ?
*
बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंओह! बेहद मासूम
जवाब देंहटाएंचाँद की सुन्दरता पर तो सब निसार हैं।
जवाब देंहटाएंचलो उठो, उठो ,
जवाब देंहटाएंसाबुन लगा कर नहला दूँ .
चलो साथ ,
धुले पुछे, फिर से चमक जाओगे !
*
कोई मत आना .
सारे कपड़े उतार
नहा रहा है मेरा चंदा .
हँसते फेन-बुलबुलों वाली हर-हर गंगा !
*
अले बाबा मैं तो देखूंगी , कैसे लगाती हैं आप साबुन और प्यारा चंदा कैसा लगता है ...
आपको मेरी तरफ से एक चुटकी अबीर
वाह ....बहुत ही खूबसूरत भावों से सजी बेहतरीन अभिव्यक्ति ।।
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएं ।।
कोमल और मासूम भावों को समेटे सुन्दर अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनायें
वाह... बेहतरीन अहसास.
जवाब देंहटाएंकडवा सच जीवन का....
कितने मीठे, कोमल, मधुरिम से भाव!
जवाब देंहटाएं'वाह,
है कोई मेरे चंदा सरीखा !'
माएँ कितनी मीठी होती है।
मन प्रसन्न हुआ।
''हँसते फेन-बुलबुलों वाली हर-हर गंगा''.......वाह!! madhurtam पंक्ति लगी..
जवाब देंहटाएंबहुत ही मीठी कविता....बहुत मीठा दृश्य खींचा प्रतिभा जी......
वास्तव में शीर्षक देख कर लगा था ...supermoon वाली बात लिखी होगी आपने..और जापान की त्रासदी पर कोई भावुक सा सृजन होगा......मगर यहाँ तो एकदम विपरीत ही था....चंद्रमा के माध्यम से वात्सल्य का अबोध चित्रण पाया...
बधाई कविता के लिए...और आभार उस पंक्ति का ...
wah..........
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder dil ko bha gai.
badhai.
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
जवाब देंहटाएंआइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत ही मीठी कविता !
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं !
चन्द्रमा को आधार बना कर वात्सल्य-भाव की अनूठी एवं मधुरतम अभिव्यक्ति मन को पुलकित कर गई। अति सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंye PURNIMA Ka CHAND hai ya MAN KE KISI KONE SE NIKLA CHAND....jo bhi hai bada LADALA hai
जवाब देंहटाएंSundar Abhivyakti
Fantastic !
जवाब देंहटाएंआह रे चंदा ...कोई नहीं उस जैसा.
जवाब देंहटाएंअभी आपका ब्लॉग पूरा पढ़ना है...