( अपनी मित्र कल्पना की एक कविता यहाँ प्रस्तुत करने का लोभ नहीं संवरण कर पा रही हूँ. - प्रतिभा. )
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मैं नहीं रोई , तुम्हारा दृष्टि भ्रम होगा.
अचानक यों उमड़ कर क्यों हृदय आवेग धारेगा,
किसी भी भावना के बस, उचित-अनुचित विचारेगा
मनस् की चल तरंगों का सरल उपक्रम रहा होगा.
तुम्हारा दृष्टि भ्रम होगा
करो विश्वास ,ले कर शान्त-मन जाओ,
न इस बाज़ार में कोई कहेगा और रुक जाओ ,
किसी उद्दाम झोंके ने बहक धोखा किया होगा.
तुम्हारा दृष्टि भ्रम होगा
यहाँ सुकुमार भावों पर किसी का बस नहीं चलता ,
कभी अनयास हीअनुताप मन का यों नहीं छलता,
अचेतन कामना का देहधर्मी अतिक्रमण होगा
तुम्हारा दृष्टि भ्रम होगा
क्षणिक आवेग में बहकी लहर योंही उछल जाये .
अकारण वाष्प के कण आ नयन के पटल पर छायें ,
बड़ी सी ज़िन्दगी के लिये तो वह बहुत कम होगा.
तुम्हारा दृष्टि भ्रम होगा.
विगत अनुबंध के सब रिक्त खाँचे पूर्ण करना हैं
इसी में रीत जाने को मिला ये ही जनम होगा
तुम्हारा दृष्टि भ्रम होगा.
जरा सी देर में ही बदल जाती काल की सरगम
इसी में डूब कर खोया अजाना क्षण रहा होगा.
तुम्हारा दृष्टि भ्रम होगा.
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- कल्पना.
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- कल्पना.
कल्पना जी को बधाई एक सुन्दर रचना के लिये।
जवाब देंहटाएंकल वाइरल हुए उस रोती हुई बच्ची के वीडियो पर सलिल वर्मा जी की बेबाक राय ... उन्हीं के अंदाज़ में ... आज की ब्लॉग बुलेटिन में |
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, गुरुदेव ऊप्स गुरुदानव - ब्लॉग बुलेटिन विशेष “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आभारी हूँ ,आ . शास्त्री जी.
जवाब देंहटाएंसच पूछो तो यही मान लेना चाहिए इंसान को ... दूसरों का दृष्टि भ्रम ... नहीं तो खुद ही पछताता है, खुद को ही छलता है इंसान ... दुच जितने अन्दर सिमटे रहें अच्छा ... गहरी मानवीय रचना ...
जवाब देंहटाएंअपने ही कर्मों के फल को समता से भोगते हुए जीवन के इस मार्ग से गुजर जाना...बहुत सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंवाह ! अभी जो देय बाकी है उन्हे चुपचाप भरना है ....
जवाब देंहटाएंबेहद सराहनीय
जवाब देंहटाएंसुन्दर भ्रम!
जवाब देंहटाएंबेहत सुदंर भ्रम http://www.polticsguru.com
जवाब देंहटाएंPolitics
लाज़वाब... शब्दों और भावों का ख़ूबसूरत संयोजन...अद्भुत रचना..
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