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इस भू-लक्षमी् की पूजा में तत्पर हो ,
जो दीप जग रहे सरहद की देहरी पर ,
वे दूर-दूर तक रोशन करें दिशायें ,
जन-जन के उर की स्नेह -धार से सिंच कर .
नव ऊर्जा से आवेगित स्फीत शिराएँ ,
सामर्थ्य-शौर्य की गूँजें नई कथायें
जय-श्री दाहिने हस्त ,विघ्नहर संयुत,
हो वाम पार्श्व में अजिता , रिपु थर्राए .
अपने उन रण दीपों के अभिनन्दन को ,
हम बढ़ें पुष्प-अक्षत की अंजलि ले कर !
इस भू-लक्ष्मी की पूजा में तत्पर हो ,
जो दीप जग रहे सरहद की देहरी पर !
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बहुत ही सार्थक शुभकामनाएँ दीपावली की मम्मी! और आपके शब्दों के चमत्कार ने इस शुभकामना सन्देश को और भी प्रखर बना दिया है! मेरा भी नमन उन शहीदों के नाम और उन बहादुरों के नाम.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं । बहुत सुन्दर भाव ।
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 01/11/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
आभार ,कुलदीप जी .
हटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’नमन भूगोल रचने वाले व्यक्तित्वों को - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना चुनने के लिये आभार ,डॉ. कुमारेन्द्र सिंह जी .
हटाएंबहुत बढ़िया... शुभकामनाएँ दिवाली की!
जवाब देंहटाएंसरहद पर सतत जलते दीपों को नमन है ... उसकी चमक अनादी काल तक माँ भारती को संतानों को तृप्त कर रही है ... नमन है देश के सिपाहियों को ... आपको भी दीपावली की हार्दिक बधाई ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक ....... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। Nice article ... Thanks for sharing this !! :):)
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ ।
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