*
भूरे रुएँ ,धुएँ सा तन , पानी बाबा आया !
*
नई फसल काँधे पर लादे, बुँदियाँ बट-बट डोरी बाँधे ,
टूटे-फूटे दाँत निपोरे ,दसों पोर पानी में बोरे ,
छींटे उड़ उड़ पड़ते ,हँफ़नी से यों भर आया !
*
चढी साँस खींचे , झुक झुक के चले बाय का मारा,
जटा जूट बिखरा ऊपर से, लथपथ बेचारा ,
बूढ़-पुरातन मनई, डोले सलर-बलर काया !
*
हिलता-डुलता भारी भरकम, कहीं रुका सा ले लेता दम ,
लाठी टेक कहीं , झटका दे टार्च फेंकता एकदम.
बज्जुर बादल गरज- तरज, तीखा कौंधा छाया !
*
उमड़ -घुमड़ कर बोले अपने अगड़म-बगड़म बोल,
करता गड़ड़-गड़ड़ गम, थम-थम जैसे बाजे ढोल .
ठोंक बजा कर पाँव बढ़ाता , सबको भरमाया !
*
झल्ली भर भर आम, पल्लियाँ भर भुट्टे-ककड़ी ,
फूले हुए फलैंदे जामुन, हरी साग गठरी, .
अँगना भर नाती-पोते , छू-छू कर दुलराया !
*
अन-धनवाली झोली खाली, में हरियाली भर दी,
मोर-नाचते बूटों वाली हरी चुनरिया धर दी .
टर्र-टर्र दादुर , पी-पी पपिहे ने गुहराया !
*
मटियाले पानी में , हाथ घँघोता छोटा लल्ला,
बौछारों में भीगे ,भागे- कूद मचाए हल्ला -
'निकल आओ रे , ये कागज़ की नाव चली भाय्या' !
*
आज जुड़ाई दरकी छाती ,कब की सूखी- रूखी धरती,
रोम-रोम हरसाया, सुख पा, नैन-तलैयाँ सरसीं.
माटी में सोंधी भभकन , हर झोंका पछुआया !
*
नेहा-मेहा लाया रे, पानी बाबा आया !
*
भूरे रुएँ ,धुएँ सा तन , पानी बाबा आया !
*
नई फसल काँधे पर लादे, बुँदियाँ बट-बट डोरी बाँधे ,
टूटे-फूटे दाँत निपोरे ,दसों पोर पानी में बोरे ,
छींटे उड़ उड़ पड़ते ,हँफ़नी से यों भर आया !
*
चढी साँस खींचे , झुक झुक के चले बाय का मारा,
जटा जूट बिखरा ऊपर से, लथपथ बेचारा ,
बूढ़-पुरातन मनई, डोले सलर-बलर काया !
*
हिलता-डुलता भारी भरकम, कहीं रुका सा ले लेता दम ,
लाठी टेक कहीं , झटका दे टार्च फेंकता एकदम.
बज्जुर बादल गरज- तरज, तीखा कौंधा छाया !
*
उमड़ -घुमड़ कर बोले अपने अगड़म-बगड़म बोल,
करता गड़ड़-गड़ड़ गम, थम-थम जैसे बाजे ढोल .
ठोंक बजा कर पाँव बढ़ाता , सबको भरमाया !
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झल्ली भर भर आम, पल्लियाँ भर भुट्टे-ककड़ी ,
फूले हुए फलैंदे जामुन, हरी साग गठरी, .
अँगना भर नाती-पोते , छू-छू कर दुलराया !
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अन-धनवाली झोली खाली, में हरियाली भर दी,
मोर-नाचते बूटों वाली हरी चुनरिया धर दी .
टर्र-टर्र दादुर , पी-पी पपिहे ने गुहराया !
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मटियाले पानी में , हाथ घँघोता छोटा लल्ला,
बौछारों में भीगे ,भागे- कूद मचाए हल्ला -
'निकल आओ रे , ये कागज़ की नाव चली भाय्या' !
*
आज जुड़ाई दरकी छाती ,कब की सूखी- रूखी धरती,
रोम-रोम हरसाया, सुख पा, नैन-तलैयाँ सरसीं.
माटी में सोंधी भभकन , हर झोंका पछुआया !
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नेहा-मेहा लाया रे, पानी बाबा आया !
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वाह बहुत सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंमौसम एकदम सूखे का है। प्रचंड गर्मी पड़ रही है। लेकिन आपके इस नवगीत के क्या कहने! आनंद दायक।
जवाब देंहटाएंसावन के महीने में भारत की बरसात खूब देखी है - यहाँ रह कर ,वहाँ की कल्पना अच्छा ही अच्छा दिखाती है .(वैसे दो बार पानी बरसने की ख़बर भी आ चुकी है ).
हटाएंवाह !! अगड़म बगड़म बोल बोलता....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर !!
सादर
अनु
सुन्दर चित्रण....
जवाब देंहटाएंवाह...वारी जाएँ इस पानी बाबा के..और आपकी अछूती कल्पना के...
जवाब देंहटाएंबस अब तो बरस ही जाना चाहिए पानी बाबा को ...
जवाब देंहटाएंआपकी कल्पना शक्ति, शब्द भण्डार और लेखन कला को नमन ...
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : छठी इंद्री (सिक्स्थ सेंस) बनाम खतरे का संकेतक
आज तो आपने दुखती रग़ पर हाथ धर दिया माँ! काश, पानी बाबा हमारे पास भी आते! यहाँ तो कोई झोला-बाबा आया लगता है जो हमारी बारिश को लकड़ी सुँघाकर, झोले में बन्द कर ले भागा है. किसी सुन्दरी को बारिश में स्नान करते देख, कई फ़िल्मों में गीत बने हैं कि "सावन में आग लगी है". लेकिन यहाँ तो सचमुच शब्दश: सावन में आग ही लगी है!!
जवाब देंहटाएं.
गर्द उड़े सड़कों पे, गदहा लोट-लोट कर हारा,
सावन में है मानुस भीगा स्वेद-कणों बेचारा
आग लगे इस सावन में झुलसी है सबकी काया
का जानें पानी बाबा क्यों इहाँ की राह भुलाया!
वैसे माँ, आपके इस गीत ने सचमुच समाँ बाँध दिया है!! भीग गये हम आनन्द में!!
लो सलिल, आ गए पानीबाबा,अपनी गठरी-मुठरी सँभाले ! छतरी खरीद ली ?अब मत कहना सावन सूखा है .
हटाएं(यहाँ अख़बार से खबरें मिली हैं)
Bahut khub...Sawan ka aaj tisra din par barish to mano ruthi hui hai.
जवाब देंहटाएंमंत्र मुग्ध सी हो जाती हूँ आपको पढ़ते हुए. हार्दिक नमन आपकी लेखनी को , आपको भी .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता, प्रवाह और ऐसे सुंदर शब्दों
जवाब देंहटाएंका चुनाव की हैरानी होती है की हिन्दुस्तान से इतनी door रह कर भी
ऐसे देशज शब्दों को आपने अपनी कृति मे जीवित
रखा है.
ध्वन्यात्मक शब्दों के प्रयोग ने बरसात के विविध चित्रों में प्राण फूँककर
जवाब देंहटाएंसजीवता प्रदान की है | गीत के प्रवाह में मन तन्मय सा हो रिमझिम की फुहार में पूरी तरह भीग गया और गीत ने भारत की स्मृतियों को कुरेद दिया। मनमोहक प्रस्तुति के लिये आपका साधुवाद !!
मनमोहक प्रस्तुति के लिये साधुवाद !!
बहुत सुंदर कविता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंशब्दों पर अदभुत control हैं
बचपन याद आ गया..आभार आपका ! :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमनभावन रचना