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जीवन में कितने दुख हैं ,
जीवन में कितने सुख हैं,
जोड़ घटा कर देख ज़रा ,थोड़ा सा अंतर होगा .
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कितना थोथापन घेरे ,
थोड़ा कहीं वज़न हो रे ,
छान पछोर अलग कर ले ,असली उतना भर होगा .
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आती-जाती हैं राहें,
उठती है हरदम चाहें,
सारा रोना है मन का ,फिर काहे का डर होगा .
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मेले की दूकानों में
बिके हुए इन नामों में
भरमाते हैं विज्ञापन , चेताता कुछ स्वर होगा .
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शंका मत कर और न डर,
अपने को समझाये चल ,
जितना बने निभाये जा ,अंत परम सुन्दर होगा !
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कितना थोथापन घेरे ,
जवाब देंहटाएंथोड़ा कहीं वज़न हो रे ,
छान पछोर अलग कर ले ,असली उतना भर होगा .
सुन्दर सन्देश देती गहन रचना
बढ़िया संदेश....
जवाब देंहटाएंकमाल की रचना ....शुभकामनायें आपको !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही गूढ संदेश देती रचना।
जवाब देंहटाएं------
तांत्रिक शल्य चिकित्सा!
ये ब्लॉगिंग की ताकत है...।
सन्देश परक बढ़िया पंक्तियाँ हैं.
जवाब देंहटाएंजोड़ घटाना,
जवाब देंहटाएंमन न माना,
उसे चाहिये,
राज्य पुराना।
सांसारिक-प्रपंच के बीच सहजता से जीवन जीने का संदेश उपयोगी है।
जवाब देंहटाएंसाधुवाद!!
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 07 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच-- 53 ..चर्चा मंच 566
गहन .. सन्देश देती हुई ..सुंदर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंशंका मत कर और न डर,
जवाब देंहटाएंअपने को समझाये चल ,
बस व्यवहार निभाये जा ,अंत परम सुन्दर होगा !
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bahoot khoob bemishaal rachanaa.badhaai aapko.
बहुत सुन्दर सन्देश देती रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंक्या बात है, बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंsundar shiksha deti rachnaa....
जवाब देंहटाएंsaadar aabhaar ...
बहुत उम्दा रचना.
जवाब देंहटाएंअगर इसे मैं एक सुंदर नवगीत कहूँतो ...
जवाब देंहटाएंसुंदर छंदबद्ध रचना...
आहा... 'मन में बजने लगे मृदंग '
आभार..
गीता पंडित
सरल शब्दों में गहन बातें प्रस्तुत की हैं आपने.
जवाब देंहटाएंसच में आनंद आ गया आपकी इस अनुपम प्रतिभा से, प्रतिभा जी.
बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
बहुत ही सार्थक संदेश देती है ये पंक्तियां,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
सत्य वचन!
जवाब देंहटाएंहर शब्द सन्देश देता है, उचित सन्देश।
हम सब मान लें तो।
बहुत ही प्रभावशाली रचना है प्रतिभा जी....आत्मसात करने का प्रयत्न किया सारी बातों को.......
जवाब देंहटाएंआभार !
(कुछ अधिक कहने योग्य नहीं हूँ...बहुत देर से आई रचना पर...क्षमा कीजियेगा...:(...)
शंका मत कर और न डर,
जवाब देंहटाएंअपने को समझाये चल ,
बस व्यवहार निभाये जा ,अंत परम सुन्दर होगा !
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आपकी प्रस्तुति को बार बार पढ़े बिन रहा नहीं जाता.
सुन्दर भी और प्रेरक भी.
बहुत खूब, प्रकृति अपना संतुलन बनाना खूब जानती है।
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