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बर खोजन चले विधना ,
कन्या दोउ गुनखानी !
'ऋद्धि-सिद्धि दोउ जुड़वाँ बहिनी अब लौ क्वाँरी रहलीं,
का सों का भइल सँजोग ',विधात्री आकुल विधि सों कहिलीं !
'सुघर सयानी दोनिउ बहिनी बहुत जतन सों पालीं,
सुर नर देखि सिहावैं ,न जनौ केहिके भाग जगइलीं!
सुलच्छनी कल्यानी !
बर खोजन की ठानि मनहिं मन ठाड़े भै बिधना,
लायक लरिका होय, न जने दौरन परि है केतना !
सतुआ बाँध निकलि गे घर ते काँधे डारि अँगौछा,
बाँधि गठरिया धरि लीनो तिन संग डोर औ' लोटा!
मन में चिन्त समानी!
सूरज तपत ,चंद्रमा रोगी अइसन बर ना चहिले,
पवनदेव को ठौर-ठिकाना केऊ जान न पइले!
देवराज के देखि चरित्तर मुँह घुमाइ हँस रहिले,
पुरुसोत्तम हरि सेसनाग परि छीरसिन्धु में सोइले!
शिव-शंकर अवढर दानी !
सोर भयो सब लोकन में ,बर खोजन विधना आयेल
ऋषि-मुनि ललचैं ,रिधि-सिधि कारन ,जप-तप सबै हेराइल,
कौन उपाय मिलहि कन्या, जागी हिय अस अभिलासा,
भारी सोच कौन विध जीत लेहुँ विधि को बिसबासा!
मति सबहिन केर हिरानी !..
तीनहुँ लोक कउन अस जन्म्यो कन्यन के संजोगे,
घूमि,घूमि थक गइले विधना कोउ न लग अनुरूपे!!
आइ देवता सारे सजि-बजि , बढ़ि आपुन गुन बरनै!
विधि विसमित अब हँसैं कि रोवैं ,सिर पीटल खिसियौंने!
का सों कहों कहानी!
देवि सुरसती दया लागि -' काहे कैलास न गइले,
दुइ कुमार गिरिजा के अब तो ब्याहन लायक भइले
अन्नपूरणा सासु ,बहुरियाँ रिधि-सिधि अनुपम जोगा,
अरपन करि निज कर सों नरियल तुरतै करो बरीच्छा!
आपुन मन में ठानी!'
देखि्य़ो नारियर ,कुँवर मुदित भे ,हर-गिरजा हरषइले,
घूम मचिल सारे शंकर गण ताली दै-दै नचिले!
गौरा हँस चुप रहलीं ,बोलेल विधना ते तुरतै हर,
'पहिल परिच्छा होइल करबे काहू को केहि का बर!
दोउ कन्या गुनखानी!'
षड्मुख -गणपति देखि आँखि भऱ विधना सब सुख लहिले,
कोउ ब्याहिल पीछे तो का , कोऊ ब्याहिल पहिले!
'परिकरमा तीनिहुँ लोकन करि जौन पहिल जस लहिले
समरथ होइल , गुणमंती कन्या सो निहचय पइले!'
सुनि मुसुकाहिं भवानी
जबै बर खोजन चले बिधना !
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बर खोजन चले विधना ,
कन्या दोउ गुनखानी !
'ऋद्धि-सिद्धि दोउ जुड़वाँ बहिनी अब लौ क्वाँरी रहलीं,
का सों का भइल सँजोग ',विधात्री आकुल विधि सों कहिलीं !
'सुघर सयानी दोनिउ बहिनी बहुत जतन सों पालीं,
सुर नर देखि सिहावैं ,न जनौ केहिके भाग जगइलीं!
सुलच्छनी कल्यानी !
बर खोजन की ठानि मनहिं मन ठाड़े भै बिधना,
लायक लरिका होय, न जने दौरन परि है केतना !
सतुआ बाँध निकलि गे घर ते काँधे डारि अँगौछा,
बाँधि गठरिया धरि लीनो तिन संग डोर औ' लोटा!
मन में चिन्त समानी!
सूरज तपत ,चंद्रमा रोगी अइसन बर ना चहिले,
पवनदेव को ठौर-ठिकाना केऊ जान न पइले!
देवराज के देखि चरित्तर मुँह घुमाइ हँस रहिले,
पुरुसोत्तम हरि सेसनाग परि छीरसिन्धु में सोइले!
शिव-शंकर अवढर दानी !
सोर भयो सब लोकन में ,बर खोजन विधना आयेल
ऋषि-मुनि ललचैं ,रिधि-सिधि कारन ,जप-तप सबै हेराइल,
कौन उपाय मिलहि कन्या, जागी हिय अस अभिलासा,
भारी सोच कौन विध जीत लेहुँ विधि को बिसबासा!
मति सबहिन केर हिरानी !..
तीनहुँ लोक कउन अस जन्म्यो कन्यन के संजोगे,
घूमि,घूमि थक गइले विधना कोउ न लग अनुरूपे!!
आइ देवता सारे सजि-बजि , बढ़ि आपुन गुन बरनै!
विधि विसमित अब हँसैं कि रोवैं ,सिर पीटल खिसियौंने!
का सों कहों कहानी!
देवि सुरसती दया लागि -' काहे कैलास न गइले,
दुइ कुमार गिरिजा के अब तो ब्याहन लायक भइले
अन्नपूरणा सासु ,बहुरियाँ रिधि-सिधि अनुपम जोगा,
अरपन करि निज कर सों नरियल तुरतै करो बरीच्छा!
आपुन मन में ठानी!'
देखि्य़ो नारियर ,कुँवर मुदित भे ,हर-गिरजा हरषइले,
घूम मचिल सारे शंकर गण ताली दै-दै नचिले!
गौरा हँस चुप रहलीं ,बोलेल विधना ते तुरतै हर,
'पहिल परिच्छा होइल करबे काहू को केहि का बर!
दोउ कन्या गुनखानी!'
षड्मुख -गणपति देखि आँखि भऱ विधना सब सुख लहिले,
कोउ ब्याहिल पीछे तो का , कोऊ ब्याहिल पहिले!
'परिकरमा तीनिहुँ लोकन करि जौन पहिल जस लहिले
समरथ होइल , गुणमंती कन्या सो निहचय पइले!'
सुनि मुसुकाहिं भवानी
जबै बर खोजन चले बिधना !
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गज़ब.............
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर नचारी पढ़वाया आपने। आपके ब्लॉग पर बहुत सारगर्भित बातें मिलती हैं।
जवाब देंहटाएंपढ़ने में आनन्द आ गया।
जवाब देंहटाएंअति सुंदर।
जवाब देंहटाएं---------
मौलवी और पंडित घुमाते रहे...
सीधे सच्चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।
बहुत खूबसूरत नचारी
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
कितना सरस, कितना मधुर, कितना आनंददायक है कविता का यह रूप!
जवाब देंहटाएंमन हर्षित हुआ यह दृश्य पढ़ के, सब जैसे झंकृत हो रहा हो!
बहुत आभार
हम्म.. ...नचारी पढने में समय तनिक अधिक ही लगता है....परंतु समझ समझ के पढ़ने में आनंद ही दूना हो जाता है...मैं तो अधिकतर शब्दों की बाहुल्यता और सुंदरता में खो जाती हूँ....सामान्यत: अभिप्राय और भाव बाद में ही समझ में आते हैं|
जवाब देंहटाएंआभार! 'नचारी' से परिचय के लिए...और उस परिचय को आगे बढ़ाते रहने के लिए भी प्रतिभा जी..!