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बुधवार, 17 मई 2023

अनायास -

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नयन अनायास भर आते हैं कभी,

 यों ही  बैठे बैठे!

नहीं ,

कोई दुख नहीं ,

कोई हताशा नहीं ,

शिकायत भी किसी से नहीं कोई.

क्रोध ? उसका सवाल ही नहीं उठता .


जाने क्यों  बूँदे झर पड़ती है ,

बस ,यों ही चुपचाप बैठे .

कारण कुछ नहीं !


मन ही तो है!!

यों ही उमड़ पड़े कभी,

कभी बादल कभी धूप 

कहाँ तक रहे बस में !


जाने दो !

मन को मन ही रहने दो ,

जीवन यों ही चलता है 

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शनिवार, 6 मई 2023

श्री गणपति-गौरा को अर्पित !

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पधारो श्री गणपति मोरे अँगना ,

पग धारो माँ गौरा, हमारे अँगना .

तुम्हरी कृपा सों मंगल कारज,चन्दन चौकी विराजो अंगना !

लाई गंगाजल सोने के कलसा ,चुन-चुन बेला चमिलिया के फुलवा ,

होवे कुलचार हमारे अँगना !

मंगल मिलि सौभागिनि गावें, सखि मिलि मोतिन चौक पुरावें .

बाजे  ढोलक-मँजीरा, हमारे अँगना .

गणपति रिधि-सिधि संग लै अइयो ,लाभ-सुभहिं  हँकार बुलइयो  !

विहरैं दोऊ आवैें  हमार भवना  .

बाधा-विघन दूरि करि डारौ, गणपति सब विधि काज सँवारो.

सब विधि हम भए , तुम्हारी सरना ! 

सब सुख पावैं आरुषि-केतन सफल सारथक होवै जीवन 

करो पूरन कामना, माँ पुरणा !

गौरा-गणेश कृपालु भए रे, रिधि-सिधि सब ही काज निबेरे .

सजे मंगल साज , हमारे अँगना !

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