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सोमवार, 28 जुलाई 2014

तोता-मैना .

*
बेटा तरु पर बैठा तोता ,दूर-दूर उड़ जाता ,
मैना जैसी चहक रही तू,मेरी रानी बिटिया ,
बड़ा घड़ा है बेटा जल का उठता नहीं उठाए,
प्यास बुझा शीतल कर देती ,बेटी छोटी- लुटिया .
*
कोना-कोना महक भर रही प्यार भरी ये बोली ,
तेरे कंठ स्वरों में किसने ऐसी मिसरी घोली !
बेटा उछल-कूद कर करता रहता हल्ला-गुल्ला  
दुनिया भर की बातें कहता-सुनता, बड़ा चिबिल्ला !

*  
जूतों को उछाल देता वह फेंक हाथ का बस्ता,
डाल जुराबें इधर-उधर जैसे ही घर में घुसता 
तुझे छेड़ कर हँसता, करता मनमानी शैतानी ,
पर रूठे तो तुरत मनाता, मेरी गुड़िया रानी !
*
दोनो हैं दो छोर, जिन्हें पा  भर जाता हर कोना ,
राखी ,सावन,दूज, दिवाली हर त्योहार सलोना.
घर-देहरी सज गई  कि जैसे  राँगोली पूरी हो ,
हँसने लगता घर ज्यों बिखरी फूलों की झोली हो !
*
घर से बाहर नहीं हुआ करते सब अपनों जैसे ,
तरह-तरह के लोगों में कुछ होंगे ऐसे-वैसे .
तेरा भइया तुझे छाँह देगा इस विषम डगर में ,
उसके साथ निडर हो लड़ना, इस संसार-समर में !
*
बाहर की दुनिया में वह है  चार नयन से चौकस ,
कहीं न मेरी बहिना पर आ जाए कोई संकट .
डोली में बिठला कर तुझको बिदा करेगा जिस दिन ,
बार-बार टेरेगा तुझको , इस घर का खालीपन !
*
मेरी दो आँखें तुम दोनों , तुम ही असली धन हो
जीजी औ'भइया का सुखमय प्यार भरा जीवन हो !
साथ निभाना इक-दूजे का बाँध नेह की डोरी.
तुम हो मेरे पुण्य ,और तुम हँसी-खुशी हो मेरी !
*

20 टिप्‍पणियां:

  1. शकुन्तला बहादुर28 जुलाई 2014 को 6:50 pm बजे

    बेटे-बेटी के प्रति माँ का वात्सल्य भाव तथा भाई-बहिन के प्यार की
    सुन्दर अनूठी अभिव्यक्ति ने मन को मुग्ध कर लिया । आनन्द आ गया ।साधुवाद !

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  2. माँ! आज इस कविता को पढते हुये मेरे कानों में बस एक ही गीत गूँज रहा है - अबके बरस भेज भैया को बाबुल!! घर आँगन के बच्चों से शुरू करके उन बच्चों के आपसे सम्बन्धों और उन सम्बन्धों को बाँधे रखने वाली डोर की इतनी कोमल बुनावट आपने जितनी भावनात्मकता से दर्शाई है कि बस आँखें भर आईं!
    घर से इतनी दूर बैठकर अपनी बहिन की यादें बरबस चली आईं!!

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  3. तोता मैना सी प्यारी भाई बहन सदा एक दूजे का ख्याल रखे यही सबकी चाहत होती है
    बहुत सुन्दर

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  4. आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि बुलेटिन ईद मुबारक और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  5. भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबन्धन आने ही वाला है..शायद उसी की भूमिका है आपकी यह सुंदर कविता..

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  6. भाई बहन के पावन बंधन को धब्दों के माध्यम से पावस बना दिया आपने ... कितनी ही यादों को झंझोड़ दिया आपने ...

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  7. अपनों के प्यार की डोर बहुत मजबूत होती है।
    सुदर, भावपूर्ण रचना।

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  8. कितनी प्यार भरी कविता है. मन खुश हो गया पढ़ कर .

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  9. ओह्ह्ह..कितना खूबसूरत लिखा है आपने, लाजवाब!!!

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  10. आशीर्वाद , फलीभूत होंगे ! मंगलकामनाएं आपको !

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  11. दिल को छूते भाव...बहुत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...

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  12. What a beautiful poem Pratibha jee! Such simplicity of words and parallels! I loved it!
    Am in the move again so in english

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