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बुधवार, 29 दिसंबर 2010

अंतर - घट

*
कितनी आवाज़ करते बजते हैं

खोखले शब्द .

जैसे रिक्त पात्र ज़रा टकराहट में

अपनी ही झनझनाहट से डोल जाए ,

दूसरे को लक्ष्य बनाते

स्वयं को तोल जाए .
*

भनकती -टनकती आवाजें ,

अपने ही कंपनों से आकुल,

उद्विग्न,चोट करती हुई

आवेश सघन.

*

अहं की बाधा तोड़ ,

अपने से आगे ,निकले होते

तो टोकरा भर शिकायते व्यंग्य ,कटूक्तियाँ

चुभन के दंश न होते .

हो आत्म ही असंयत डँवाडोल,

मन की उन्मुक्त

पुकार कैसे जागे !

*

काश होता स्वयं में आपूर्ण

अंतर-घट,

सार्थक, प्रेरक, ग्रहणीय ,

गहन-गंभीर स्वर उभरते,

स्नेह की छलक भरे .

वह रूप

कितना महनीय होता !

*



17 टिप्‍पणियां:

  1. काश होता स्वयं में आपूर्ण

    अंतर-घट,

    सार्थक, प्रेरक, ग्रहणीय ,

    गहन-गंभीर स्वर उभरते,

    स्नेह की छलक भरे .


    सच काश ऐसा होता

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  2. सचमुच, वह रूप कितना महनीय होता!

    सघन ऋचाओं से शब्द व भाव आते हैं इन छंदों से छन-उतर।

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  3. आद.प्रतिभा जी,
    सच की दीपशिखा सी प्रज्वलित शब्दों की आकुलता गहरे भावों को गरिमा प्रदान कर रही है !
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  4. sundar rachna

    आप को नवबर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं !
    आने बाला बर्ष आप के जीवन में नयी उमंग और ढेर सारी खुशियाँ लेकर आये ! आप परिवार सहित स्वस्थ्य रहें एवं सफलता के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंचे !

    नवबर्ष की शुभ-कामनाओं सहित

    संजय कुमार चौरसिया

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  5. Sundar Prastuti..
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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  6. ऐसा ही हो ! आमीन ! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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  7. आपको एवं आपके सभी प्रियजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  8. काश होता स्वयं में आपूर्ण

    अंतर-घट,

    सार्थक, प्रेरक, ग्रहणीय
    ............................

    हम भी यही कहेंगे काश ऐसा ही होता!
    -
    -
    बहुत अच्छा लिखती हैं आप.
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ .

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  9. श्रद्धेया प्रतिभा जी
    सादर प्रणाम !

    आपकी प्रतिभा को प्रणाम है ! नमन है !
    जब भी आपकी कलम चली है … श्रेष्ठ सृजन ही हुआ है !

    आपकी लेखनी सतत अनवरत चलती रहे … और सरस्वती का प्रसाद पाने का हमें सौभाग्य मिलता रहे , यही कामना है ।

    ~*~नव वर्ष २०११ के लिए स्वजनों सहित हार्दिक मंगलकामनाएं ! शुभकामनाएं !!~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  10. प्रतिभा जी, मन को छू गये आपके भाव। काश, ऐसा होता, तो कितना अच्‍छा होता।

    ---------
    पति को वश में करने का उपाय।

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  11. .

    @ -स्नेह की छलक भरे ....

    सबसे दुर्लभ है स्नेह मिलना। फिर भी कुछ दिलों को स्नेह से सदा भरा देखा

    .

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  12. आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के ब्लॉग बुलेटिन - एकला चलो पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |

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