*
मैं उतने जन्म धरूँ तेरी गोदी में ,
तुम बिन बीतें जितनी सुबहें-संध्यायें ........'
उच्छल लहरों में खिलखिल हँसता रह तू
इन साँसों का सरगम तुझको ही गाए,
जाना आसान नहीं है दूर कहीं भी ,
मैं रहूँ कहीं भी लौट-लौट आऊँगी,
तेरे पावन दर्शन का संबल पा कर ,
खारे जल से कलुषों को धो जाऊँगी.
सम्मोहन से मन बाहर कब आ पाया ,
मृगतृष्णाओँ से प्यास बुझी कब कोई,
इस मानस में जो गहरे उतर समाए ,
उन सपनों की भी थाह नहीं है कोई
तू एक प्रेरणा है इस अंतर्मन की,
जो सदा जगाती रही भटकते मन को.
तेरा निरभ्र नभ प्रतिबिंबित प्राणों में
आश्वस्ति सतत देता अतृप्त जीवन को.
श्यामला धरा के हरे-भरे आँचल में
नाचो, मदमस्त धान की बालों नाचो
मैं उतने जन्म धरूँ तेरी गोदी में ,
तुम बिन बीतें जितनी सुबहें-संध्यायें ........'
उच्छल लहरों में खिलखिल हँसता रह तू
इन साँसों का सरगम तुझको ही गाए,
जाना आसान नहीं है दूर कहीं भी ,
मैं रहूँ कहीं भी लौट-लौट आऊँगी,
तेरे पावन दर्शन का संबल पा कर ,
खारे जल से कलुषों को धो जाऊँगी.
सम्मोहन से मन बाहर कब आ पाया ,
मृगतृष्णाओँ से प्यास बुझी कब कोई,
इस मानस में जो गहरे उतर समाए ,
उन सपनों की भी थाह नहीं है कोई
तू एक प्रेरणा है इस अंतर्मन की,
जो सदा जगाती रही भटकते मन को.
तेरा निरभ्र नभ प्रतिबिंबित प्राणों में
आश्वस्ति सतत देता अतृप्त जीवन को.
श्यामला धरा के हरे-भरे आँचल में
नाचो, मदमस्त धान की बालों नाचो
चिरतृप्ति समेटे अपनी उर्वरता में
जीवन के अणु-अणु को करुणा से पागो !
*
वाह निर्जीव से होते समय का सजीव सृजन
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (01-05-2020) को "तरस रहा है मन फूलों की नई गंध पाने को " (चर्चा अंक-3688) पर भी होगी। आप भी
सादर आमंत्रित है ।
"मीना भारद्वाज"
आभारी हूँ,मीना जी.
हटाएंभावपूर्ण लेखन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और भावप्रवण रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्रेरक और भावपूर्ण, प्रतिभा जी।
जवाब देंहटाएंआत्मबोध के सूक्ष्म तत्त्वों का अन्वेषण करती विचारणीय अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंजीवन की गति आरोह-अवरोह के साथ अपनी लय में निबद्ध रहती है।
सुंदर सृजन।
बधाई एवं शुभकामनाएँ
सपने देखते रहेंगे तो आशा और इच्छा बलवती रहेगी ...
जवाब देंहटाएंऔर एक दिल इन माटी के पावन चरणों में जीवन मिल जाएगा ... बहुत ही सुन्दर सृजन ...
सील को छूती सुंदर रचना, प्रतिभा दी।
जवाब देंहटाएंI am really happy to say it’s an interesting post to read APJ Abdul Kalam Quotes in Hindi this is a really awesome and i hope in future you will share information like this with us
जवाब देंहटाएंसम्मोहित करती रचना .... रचयिता भी ।
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जवाब देंहटाएंजाना आसान नहीं है दूर कहीं भी ,
मैं रहूँ कहीं भी लौट-लौट आऊँगी,
तेरे पावन दर्शन का संबल पा कर ,
खारे जल से कलुषों को धो जाऊँगी.
सम्मोहन से मन बाहर कब आ पाया ,
मृगतृष्णाओँ से प्यास बुझी कब कोई,
इस मानस में जो गहरे उतर समाए ,
उन सपनों की भी थाह नहीं है कोई
बहुत ही सुन्दर रचना ,मन को भा गई , आप बहुत ही अच्छा लिखती हैं ,आपकी लेखनी को सादर नमन
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जवाब देंहटाएंGreat Stuff Man, I Really Like You Article Keep doing Good Work also visit Gain Lean Mass.
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar or bhavpurd hai apka lekh. Hamara bhi lekh pade Majhi Naukri or friendship quotes in Hindi
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