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शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

अनुष्ठान .

*
पुराने जर्जर होते नक़्शे से 
एक नई तस्वीर बन रही है -
चल रहा है 
 नवोदय का
 अनुष्ठान !
*
पुनर्निर्माण पूर्व की 
अवश्यंभावी उठा पटक.
हट जाये कूड़-कबाड़,
सदियों की जमी हुई कलौंच छुटे ,
दाग-धब्बों से रहित 
धुंध -धूल से स्वच्छ ,
निर्मल हो थल-जल-मनस्तल .
*
खलल पड़ेगा बहुतों के आराम में 
अवरोध खड़े होंगे ,
व्यवधान पड़ेंगे,   
 बाधायें बहते प्रवाह में .
 लेकिन महायज्ञ कहाँ संभव,
 समिधायें डाले  बिना .
*
आस्था का तेल ,
श्रम की बाती 
और विश्वास की लौ निष्कंप जले !
रोशनी से दमक उठे कोना-कोना.
हमारा सौभाग्य कि 
साक्षी-सहभागी हैं ,
इस  आयोजन में .
*
मंत्र-पाठ चल  रहा है 
सर्व कल्याण के विधान का,
आज की शंकाओं से आगे 
आगत संतानो के समाधान का .
हव्य पाने उठ रहीं
हवन की लपटें .
यह आँच ,
कष्टमय भी ,वरेण्य है.
*