पेज

रविवार, 30 अक्टूबर 2016

दीपों का अभिनन्दन -


*

इस भू-लक्षमी् की पूजा में तत्पर हो , 
जो दीप जग रहे सरहद की देहरी पर ,
वे दूर-दूर तक रोशन करें दिशायें ,
जन-जन के उर की  स्नेह -धार से सिंच कर  .

नव ऊर्जा से आवेगित  स्फीत  शिराएँ ,
सामर्थ्य-शौर्य की गूँजें नई कथायें 
जय-श्री दाहिने हस्त ,विघ्नहर संयुत, 
 हो वाम पार्श्व में अजिता , रिपु  थर्राए  .

 अपने उन  रण  दीपों के अभिनन्दन को ,
हम बढ़ें पुष्प-अक्षत की अंजलि ले कर !
इस भू-लक्ष्मी की पूजा में तत्पर हो , 
जो दीप जग रहे सरहद की देहरी पर !
*

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सार्थक शुभकामनाएँ दीपावली की मम्मी! और आपके शब्दों के चमत्कार ने इस शुभकामना सन्देश को और भी प्रखर बना दिया है! मेरा भी नमन उन शहीदों के नाम और उन बहादुरों के नाम.

    जवाब देंहटाएं
  2. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 01/11/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’नमन भूगोल रचने वाले व्यक्तित्वों को - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरी रचना चुनने के लिये आभार ,डॉ. कुमारेन्द्र सिंह जी .

      हटाएं
  4. बहुत बढ़िया... शुभकामनाएँ दिवाली की!

    जवाब देंहटाएं
  5. सरहद पर सतत जलते दीपों को नमन है ... उसकी चमक अनादी काल तक माँ भारती को संतानों को तृप्त कर रही है ... नमन है देश के सिपाहियों को ... आपको भी दीपावली की हार्दिक बधाई ...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सटीक ....... बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। Nice article ... Thanks for sharing this !! :):)

    जवाब देंहटाएं