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गुरुवार, 8 जनवरी 2015

कार्टूनिस्ट !

ओ कार्टूनिस्ट !
नमन करती हूँ तुम्हारी  दृष्टि को !
तुम्हारी दृष्टि-
बड़े गहरे पैठ ,खींच लाती है विसंगतियाँ .
सबको सिंगट्टा दिखाती चिढ़ाती ,
टेढ़े होंठों मुस्कराते  ,
भीतरी तहें तक उघाड़ जाती है
कटाक्षभरे व्यंग्य सी  तीखी और तुर्श!

दुनिया एक व्यंजना है तुम्हारे लिए  .
 जहाँ बेतुकापन छिपने के बजाय ,
 उभर आता है 
 कुछ श्वेत-श्याम अंकनों में .
 सच को उजागर करने की कला ,
और विचित्र रूपाकारों की मुखर भंगिमा 
 कोई  तुमसे  सीखे !
सचमुच -
सच  होता ही ऐसा है!

ऐसा ही अनोखा, अनभ्यस्त, अतर्क्य!
*


13 टिप्‍पणियां:

  1. sahi kaha pratibha ji cartoonists ke liye yah dunia ek vyanjna hi hai .nice expression .

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  2. साथ ही इनकी हिम्मत को भी ह्रदय नमन करता है . आपकी रचना को भी.

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  3. सच को उजागर करना आसान नहीं है...

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  4. कितना कठिन है एक सम्पूर्ण व्यंग्य रचना को कुछ रेखाओं और आकृतियों के माध्यम से उसी पैनेपन के साथ व्यक्त करना! आर के लक्ष्मण का आम आदमी तो कभी बोलता ही नहीं फिर भी कितना कुछ कह जाता है।
    उन शहीद कलाकारों की स्मृति को नमन!!

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  5. और ऐसा सच सहन नहीं होता है
    बहुत सुंदर ।

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  6. सही कहा आपने..बड़ी -बड़ी बातें कार्टूनिस्ट कर जाते हैं छोटे से पन्ने पर

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  7. बातों को अलग अंदाज़ से रखने की कला बाखूबी जानते हैं ये ...
    अच्छी अर्थपूर्ण रचना ...

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  8. शहीद कार्टूनिस्टों को श्रद्धांजलि

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  9. कुछ रेखाओं में बहुत कुछ लिखने वालों को नमन ..

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  10. बहुत सुंदर. सच तलवार की धार पर चलने के समान है.
    नई पोस्ट : गुमशुदा बौद्ध तीर्थ

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  11. कार्टूनिस्ट की कुछ आढी टेढ़ी लाइनें बहुत कुछ कह जाती हैं..लाज़वाब सटीक प्रस्तुति...

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  12. शकुन्तला बहादुर17 जनवरी 2015 को 3:54 pm बजे

    कार्टूनिस्ट की विलक्षण कला तो चकित कर ही देती है । उसके चित्रण हेतु की गई इस अभिव्यक्ति में पैनी दृष्टि और धारदार रचना भी कम प्रशंसनीय नहीं है।

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  13. sach!
    sach me Pratibha ji...aisa hi hai.
    kitna bhala hai aapka mann jo sabke liye itti sadbhavna rakhte ue ye sab kavitayein rachta rehta hai.
    anaayaas hi wo tasveer yaaad aa gayi...jab cartoonist Praan ke jaane per akhbaar me aayi thi...jisme unki tasveer diiwar par tangi thi..haar latka tha...aur photo kee neeche Chacha Choudhrey, Saboo, Billooo, Pinky, Tauji wagerah sar jhukaaye udaas khade the.
    cartoonist kewal cartoonist bhi kahan hote hain..mere aur meri peedhi k kitne anginat logon ka bachpan unkee banayi comics kee yaadon se racha basa hai. kewal Praan hi nahin aur sabhi ki bhi baat kar rahi hoon.
    R.K.Lakshman jab Navbharat me cartoon banaya karte the shayad...bachpan se unka column dekhte aaye hain.
    gagar me sagar yahi to kala hai cartoonist ki..sath hi jaane kitne kshanon aur baaton ko ye koochi se samet liya karte hain.

    abhar..Pratibhaji.

    :):):)

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