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गुरुवार, 7 मार्च 2013

चंपा और चमेली .


मेरे बचपन की एक और बाल-कविता -
*
चंपा ने कहा,' चमेली ,क्यों बैठी आज अकेली,
क्यों सिसक-सिसक कर रोतीं ,क्यों आँसू से मुँह धोतीं,
क्या अम्माँ ने फटकारा ,कुछ होगा कसूर तुम्हारा ,
या गुड़ियाँ हिरा गई हैं, या सखियाँ बिरा गई हैं?
*
भइया ने तुम्हें खिजाया ,क्यों इतना रोना आया ?
अम्माँ को बतलाती हूँ मैं अभी बुला लाती हूँ , .'
सिसकी भर कहे चमेली,'मैं तो रह गई अकेली
 देखो वह पिंजरा सूना ,उड़ गई हमारी मैना !
*
मैं उसे खिला कर खाती ,बातें भी करती जाती
कितना भाती थी मन को ,क्यों छोड़ गई वह हमको?'
'इक बात मुझे बतलाओ तुम भी यों ही फँस जाओ
जब कोई तुम्हें पकड़ के, पिंजरे में रखे जकड़ के!
*
खाना-पानी मिल जाए फिर बंद कर दिया जाए
 तो कैसा तुम्हें लगेगा किस तरह समय बीतेगा?
तुम रह जाओगी रो कर, खुश रह पाओगी क्योंकर ?
वह उड़ती थी मनमाना, सखियों सँग खेल रचाना!
*
ला उसे कैद में डाला ,कितना बेबस कर डाला !
पिंजरे में थी बेचारी, पंखोंवाली नभ-चारी .
अब उड़-उड़कर खेलेगी ,वह डालों पर झूलेगी .
छोटा सा नीड़ रचेगी ,अपनो के साथ हँसेगी.
*
उसको सुख से रहने दो ,अपने मन की कहने दो !
 धर देना दाना-पानी, खुश होगी मैना रानी !'
तब हँसने लगी चमेली, तूने सच कहा सहेली,
'ये पंछी कितने प्यारे ,आयेंगे साँझ-सकारे !'
*
( बाद के  चार छंद मूल कविता के नहीं हैं ,किसी को पता हो तो बता कर उपकृत करे!-  प्रतिभा.  )

24 टिप्‍पणियां:

  1. माता जी प्रणाम बहुत ही सुन्दर निःशब्द करती
    आपकी *जो बिसारा नहीं *मेरे रीडिग लिस्ट में पूरा छप गया है एक नज़र देखें

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  2. कितना अच्छा लगता है बाल-कविता को फिर से जीना..

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  3. बचपन में पहुंचा दिया आपने.

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  4. सार्थक अभिव्यक्ति।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (9-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  5. कोमल बाल मन के भावों से सुसजित बहुत ही प्यारी सी कविता मुझे बहुत अच्छी लगी :) आभार ....

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  6. बहुत प्यारी रचना

    कुछ मिलते जुलते भाव मेरे मन भी आये थे देखिएगा
    http://vandana-nanhepakhi.blogspot.in/2011/05/blog-post.html?spref=bl

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  7. बहुत प्यारी कविता है... बचपन जैसी ही मासूम...
    ~सादर!!!

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
    सादर

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये

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  9. bachpan ki yaad taaja kar di..

    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  10. जब से ब्लॉग की दुनिया से साक्षात्कार हुआ है ...बाल-कविताओं का भी आनंद मिल रहा है ....सरल और कोमल भाव होने के कारण मुझे बहुत पसंद हैं .....चमेली की मैना बहुत ही सुंदर और सदविचार प्रेषित करती है ....बुत सुंदर
    मेरा ब्लॉग आपके स्वागत के इंतज़ार में
    स्याही के बूटे

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  11. Bahit pyari kawita hai Shipraji. Aur Aapke jode chand bhee usame ek sar hokar jud gaye hain. Dhanyawad aapka.

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  12. धन्य हो आशा जी ,आपने तो मेरा नामकरण ही कर दिया-
    नया नाम भी शिरोधार्य!

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  13. कई बार मन में उतर जाती हैं ऐसी रचनाएँ जो पढ़ने के बाद बचपन की गलियों में ले जाती हैं ओर सहलाती हैं माँ की तरह ...

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