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शनिवार, 2 जुलाई 2011

जोड़-घटा.



*
जीवन में कितने दुख हैं ,
जीवन में कितने सुख हैं,
जोड़ घटा कर देख ज़रा ,थोड़ा सा अंतर होगा .
*
कितना थोथापन घेरे ,
थोड़ा कहीं वज़न हो रे ,
छान पछोर अलग कर ले ,असली उतना भर होगा .
*.
आती-जाती हैं राहें,
उठती है हरदम चाहें,
 सारा रोना है मन का ,फिर काहे का डर होगा .
*
मेले की दूकानों में
बिके हुए इन  नामों में
भरमाते हैं विज्ञापन ,  चेताता कुछ स्वर होगा .
*
शंका मत कर और न डर,
अपने को समझाये चल ,
जितना बने  निभाये जा  ,अंत परम सुन्दर होगा !
*




22 टिप्‍पणियां:

  1. कितना थोथापन घेरे ,
    थोड़ा कहीं वज़न हो रे ,
    छान पछोर अलग कर ले ,असली उतना भर होगा .

    सुन्दर सन्देश देती गहन रचना

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  2. कमाल की रचना ....शुभकामनायें आपको !!

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  3. सन्देश परक बढ़िया पंक्तियाँ हैं.

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  4. जोड़ घटाना,
    मन न माना,
    उसे चाहिये,
    राज्य पुराना।

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  5. शकुन्तला बहादुर3 जुलाई 2011 को 5:49 pm बजे

    सांसारिक-प्रपंच के बीच सहजता से जीवन जीने का संदेश उपयोगी है।
    साधुवाद!!

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  6. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 05 - 07 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    साप्ताहिक काव्य मंच-- 53 ..चर्चा मंच 566

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  7. गहन .. सन्देश देती हुई ..सुंदर अभिव्यक्ति ...

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  8. शंका मत कर और न डर,
    अपने को समझाये चल ,
    बस व्यवहार निभाये जा ,अंत परम सुन्दर होगा !
    *
    bahoot khoob bemishaal rachanaa.badhaai aapko.

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  9. बहुत सुन्दर सन्देश देती रचना।

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  10. अगर इसे मैं एक सुंदर नवगीत कहूँतो ...

    सुंदर छंदबद्ध रचना...

    आहा... 'मन में बजने लगे मृदंग '

    आभार..
    गीता पंडित

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  11. सरल शब्दों में गहन बातें प्रस्तुत की हैं आपने.
    सच में आनंद आ गया आपकी इस अनुपम प्रतिभा से, प्रतिभा जी.
    बहुत बहुत आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

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  12. बहुत ही सार्थक संदेश देती है ये पंक्तियां,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  13. सत्य वचन!
    हर शब्द सन्देश देता है, उचित सन्देश।
    हम सब मान लें तो।

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  14. बहुत ही प्रभावशाली रचना है प्रतिभा जी....आत्मसात करने का प्रयत्न किया सारी बातों को.......

    आभार !
    (कुछ अधिक कहने योग्य नहीं हूँ...बहुत देर से आई रचना पर...क्षमा कीजियेगा...:(...)

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  15. शंका मत कर और न डर,
    अपने को समझाये चल ,
    बस व्यवहार निभाये जा ,अंत परम सुन्दर होगा !
    *
    आपकी प्रस्तुति को बार बार पढ़े बिन रहा नहीं जाता.
    सुन्दर भी और प्रेरक भी.

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  16. बहुत खूब, प्रकृति अपना संतुलन बनाना खूब जानती है।

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