पेज

गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

वो रस्सी कहाँ है जिस पे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु हँसते हुए झूले थे?




On Feb 19, 2015, at 12:34 AM, Mcabani wrote:
 Fwd: A Hindi poem on Modi -

*
             67 साल पहले एक गुजराती
        ने देश को अंग्रेजों से मुक्त
        किया था.....
       अब 67 साल बाद एक गुजराती
        ने देश को कांग्रेस से मुक्त
         किया है......
         पहले वाला गुजराती 'नोटो' पर
        छा गया,
         अभी वाला गुजराती 'वोटों' पर
       छा गया..
        ऐ दोस्त खिडकियाँ खोल
         के देखने दे मुझे....... .


       मेरे वतन की नई तस्वीर बन
        रही है.......
        आज भारत फिर से आज़ाद
         हुआ...... पहला इंग्लैंड की
        रानी से..... और आज
         " इटली की नौकरानी " से.....
        जो पढ़ सके न खुद, किताब माँग रहे है,
         खुद रख न पाए, वे हिसाब माँग रहे है।
         जो कर सके न साठ साल में कोई विकास देश का, 

        वे साठ दिनों  में जवाब माँग रहे है।
        आज गधे गुलाब माँग रहे है, चोर लुटेरे इन्साफ़ माँग रहे है।
        जो लूटते रहे देश को 60 सालों तक,
       जब 3 महीनों में पेट्रोल की कीमतें 7 रुपये तक कम हो जायें ,
        जब 3 महीनों में डॉलर 68 से 60 हो जाये,
       जब 3 महीनों में सब्जियों की कीमतें कम हो जायें ,
        जब 3 महीनों में सिलिंडर की कीमतें कम हो जाये,
        जब 3 महीनों में बुलेट ट्रैन भारत में चलाये जाने को 

सरकार की हरी  झंडी मिल जाये,
         जब 3 महीनों में पाकिस्तान को एक करारा जवाब दे दिया जाए,
         जब 3 महीनों में भारत के सभी पड़ोसी मुल्कों से रिश्ते सुधरने लग जाये,
         जब 3 महीनों में हमारी हिन्दू नगरी काशी को स्मार्ट सिटी

  बनाने जैसा प्रोजेक्ट पास हो जाये,
         जब 3 महीनों में विकास दर 2 साल में सबसे ज्यादा हो जाये,
         जब हर गरीबों को उठाने के लिए जन धन योजना पास हो जाये.
         जब इराक से हजारों भारतीयों की सही सलामत वतन वापसी हो ये!
        तो भाई अच्छे दिन कैसे नहीं आये???
         वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है जिससे गांधी बकरी बाँधा करते थे
         किन्तु वो रस्सी कहाँ है जिस पे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु           हँसते हुए झूले थे?
         हालात-ए-मुल्क देख के रोया न गया,
         कोशिश तो की पर मूँह ढक के सोया न गया
         देश मेरा क्या बाज़ार हो गया है ...
        पकड़ता हूँ तिरंगा तो लोग पूछते है कितने का है ?..
         वर्षों बाद एक नेता को माँ गंगा की आरती करते देखा है,
        वरना अब तक एक परिवार की समाधियों पर फूल चढ़ते देखा है।
        वर्षों बाद एक नेता को अपनी मातृभाषा में बोलते देखा है,
        वरना अब तक रटी रटाई अंग्रेजी बोलते देखा है।
        वर्षों बाद एक नेता को Statue Of Unity बनाते देखा है,
        वरना अब तक एक परिवार की मूर्तियाँ बनते देखा है।
       वर्षों बाद एक नेता को संसद की माटी चूमते देखा है,
        वरना अब तक इटैलियन सैंडिल चाटते देखा है।
        वर्षों बाद एक नेता को देश के लिए रोते देखा है,
         वरना अब तक "मेरे पति को मार दिया" 

        कह कर वोटों की भीख मांगते देखा है।
        पाकिस्तान को घबराते देखा है,
         अमेरिका को झुकते देखा है।
      इतने वर्षों बाद भारत माँ को खुलकर मुस्कुराते देखा है।
         ***************************

- Mcabani.